Creativity
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गढ़वाल की कवि ने सुनाया एक किस्साः उस दिन भालुओं से भी नहीं डरी मैं
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ब्लॉग “2006 की बात है, जनवरी का महीना था, उस समय मेरी सगाई हो गई थी।…
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ऋषिकेश की शिक्षिका की यादेंः गढ़वाल का यह गांव आज भी जेहन में है
राजेश पांडेय। ऋषिकेश “मां के साथ ऋषिकेश से अपने गांव मज्यूर, जो कि पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण इलाके में है,…
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दशकों पुराना ड्रामे वाला गांव, जहां रामलीला के दमदार कलाकार बसते हैं
बड़ासी गांव। राजेश पांडेय दशकों साल पुराना ड्रामे वाला गांव बड़ासी, जहां लगातार पांचवी बार रामलीला होने वाली है। इन…
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रामझूला के पास पैरों से पेंटिंग बनातीं अंजना की कहानी
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ” मैं रामझूला के पास स्वर्गाश्रम में कागज पर राम नाम लिखती थी। पैरों से लिखने…
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पत्रकार हेमू भट्ट का लिखा गीत ‘ऊँची ऊँची डांडयू माँ…’ पर वीडियो जारी
वरिष्ठ पत्रकार, कवि, गीतकार एवं गायक हेमवती नंदन भट्ट हेमू का लिखा एक और गीत काफी पसंद किया जा रहा…
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डुग डुगी अगस्त 2020
मैं बहुत छोटा था और मुझे कॉपियों पर यूं ही पेंसिल चलाने में बहुत मजा आता था। स्कूल में एडमिशन…
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देहरादून के बाल चित्रकार शिवांश की पेंटिंग ने जीता बेस्ट एंट्री का ख़िताब
हार्पिक इंडिया व सीएनएन न्यूज 18 ने मिलकर मिशन पानी कला प्रतियोगिता में जीता अवार्ड देहरादून। हार्पिक इंडिया व सीएनएन न्यूज…
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सावन का मौसम
सावन के मौसम में गिरती हैं जामुन टप-टप। खाते हैं बाल बच्चे, जामुन को गप-गप, गप-गप।। बहती हवा है हर-हर,…
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तक धिनाधिनः कहां से आए अक्षर, इनको किसने बनाया
अनुशासन और जिज्ञासा शिक्षा प्राप्त करने की प्रमुख आवश्यकता हैं। आगामी नवंबर माह में श्री दर्शन संस्कृत महाविद्यालय अपनी शताब्दी…
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बदल मुकद्दर आगे बढ़कर
बदल मुकद्दर आगे बढ़कर नहीं डूबेगी तेरी नैया जल भी तेरा, ताल भी तेरा तू ही नदी औऱ तू ही…
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स्त्री
स्त्री, सरल या जटिल, एक अबूझ पहेली, कितना कुछ, ख़ुद में समेटे, बहुत मुश्किल है, एक पुरुष के लिए, एक…
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सपनों के साथ याद बनती सड़कें !
जे. पी. मैठाणी सड़कें धूल, मिटटी, गारे और फिसलन से भरी दौड़ती रही – भागती रही – भागती रही और दौड़ती रही ..…
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मेरे गांव की सड़क
एक वक्त जब नहीं थी मेरे गांव में सड़क मुश्किलों से भरा होता था रास्ता और धार* के उस पार…
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लघु कथाः नया साल मुबारक हो
अनीता मैठाणी सड़क पर भीड़ अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक थी, पर उसे इससे किंचित भी सरोकार ना था। उसे…
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ओ धूप
*अनीता मैठाणी ठहरे रहो ना… कुछ देर… आकर मेरे… दरवाजे पर… खिड़की पर… पहली फु़र्सत में… आऊँगी… हाथ सुखाने के…
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चिनार प्रेम
अनीता मैठाणी चिनार के दरख़्त से पत्तियों के झरने का मौसम हो जैसे, खुद चिनार सी हो जाती हूँ। कभी…
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पहाड़ की स्त्री
अनीता मैठाणी क्या तुम जानते हो जब तुम पहाड़ कहोगे तुम एक स्त्री कहोगे पहाड़ सा अचल कहोगे तो भी,…
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