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स्वाद ही नहीं सेहत के लिए भी बहुत कुछ है पपीते में

सैकड़ों साल पहले अमेरिका से दुनियाभर में स्पेनिश ने पहुंचाया पपीता

न्यूज लाइव डेस्क

सेहत का ख्याल रखने वाला पपीता बेहद गुणकारी होता है, यह पाचन तंत्र को सही करने के साथ-साथ दिल की सेहत के लिए भी अच्छा है। यह वैज्ञानिक रूप से Carica papaya के नाम से जाना जाता है।

इस उष्णकटिबंधीय फल के बारे में माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति दक्षिणी मैक्सिको और मध्य अमेरिका में हुई थी। इसका सदियों पुराना एक लंबा और दिलचस्प इतिहास है। इन क्षेत्रों के स्वदेशी लोगों, जैसे Maya और the Aztecs ने स्वादिष्ट स्वाद और औषधीय गुणों दोनों के लिए पपीते को अत्यधिक महत्व दिया। फल उनके आहार और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

15वीं और 16वीं शताब्दी में अमेरिका में स्पेनिश खोजकर्ताओं के आगमन के साथ, पपीता दुनिया के अन्य हिस्सों में लाया गया। स्पैनिश और पुर्तगाली खोजकर्ता कैरेबियन, फिलीपींस, भारत और अफ्रीका के कुछ हिस्सों सहित विभिन्न उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पपीते के बीज लाए।

पपीते को स्वास्थ्य लाभों के कारण विभिन्न संस्कृतियों ने तुरंत अपनाया। यह फल विटामिन, विशेष रूप से विटामिन सी और विटामिन ए, साथ ही पोटेशियम और फाइबर जैसे अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है। ताजा सेवन करने के अलावा, पपीते का उपयोग सलाद, साल्सा और डेसर्ट में किया जाता था और अब भी किया जाता है।

जैसे-जैसे लोकप्रियता बढ़ी, पपीते की व्यावसायिक खेती का विश्व स्तर पर विस्तार हुआ। आज, ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और मैक्सिको पपीते के शीर्ष उत्पादकों में से हैं। इस फल की खेती संयुक्त राज्य अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों जैसे हवाई, फ्लोरिडा और कैलिफ़ोर्निया के कुछ हिस्सों में भी की जाती है।

पपीते को न केवल उनके मीठे स्वाद के लिए बल्कि उनके कई स्वास्थ्य लाभों के लिए भी माना जाता है। पाचन में सहायता, त्वचा को बेहतर बनाने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए भी पपीता जाना जाता है।

कच्चे पपीते में पपेन नामक एंजाइम होता है, जो पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन ए के साथ कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं और यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। पपीता में पाया जाने वाला पोटैशियम दिल की सेहत को बेहतर करने में मदद कर सकता है और हाई ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है। कच्चे पपीते में मौजूद पोषक तत्वों का भरपूर लाभ उठाने के लिए इसका सेवन सलाद या जूस के रूप में करना चाहिए। पपीते का रस पीने से शरीर को यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिल सकती है। आप कच्चे पपीते का सूप भी बनाकर पी सकते हैं। कच्चे पपीते के सूप को आप लंच या डिनर में पी सकते हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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