
Livelihood & Women Empowerment VKSA 2025: ICAR-IISWC ने दिया आजीविका संसाधनों और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा
Livelihood & Women Empowerment VKSA 2025: देहरादून, 10 जून 2025: ICAR-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने मंगलवार को विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जो आजीविका, खाद्य सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में अहम साबित हो रहा है।
संस्थान ने लघु और सीमांत किसानों को टिकाऊ, पारिस्थितिकी-आधारित उद्यमों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इनमें छोटे पैमाने पर सब्जी खेती और बेहतर नस्लों (कड़कनाथ, वनराजा, रेनबो, कुरोइलर) के साथ दोहरे उद्देश्य वाला मुर्गी पालन शामिल हैं। इसके साथ ही, गादी, बीटल और बरबरी जैसी बेहतर नस्लों के साथ बकरी पालन, मशरूम खेती, वर्मी-कम्पोस्टिंग, मधुमक्खी पालन और बायोफ्लॉक आधारित मछली पालन को भी बढ़ावा दिया गया। राज्य और केंद्रीय योजनाओं के समर्थन से एकीकृत खेती प्रणालियों को अपनाने पर भी जोर दिया गया।
उद्यमिता और मूल्य संवर्धन के अवसर
उद्यमी किसानों के लिए, बागवानी विकास हेतु उच्च गुणवत्ता वाले रोपण सामग्री (साइअन) का उत्पादन और बिक्री के अवसर उजागर किए गए। साथ ही, पॉलीहाउस में सब्जी और फूलों की खेती को भी बढ़ावा दिया गया, ताकि जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान और मौसम की अनिश्चितताओं से बचा जा सके।
जैविक अचार, बिस्कुट और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को व्यवहार्य सूक्ष्म-उद्यमों के रूप में प्रस्तुत किया गया, जो स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके सुलभ और किफायती हैं। खरीफ मौसम में चारा और पानी की प्रचुरता इन उद्यमों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है, और बंपर फसल उत्पादन इन सूक्ष्म-उद्यमों के लिए दीर्घकालिक व्यावसायिक संभावनाएं प्रदान करेगा।
Also Read: Vikasit Krishi Sankalp Abhiyan: ICAR-IISWC के वैज्ञानिकों को किसानों ने बताईं समस्याएं
महिला किसानों के लिए समर्थन और क्षमता निर्माण (Livelihood & Women Empowerment VKSA 2025)
महिला किसानों के लिए श्रम को कम करने के लिए छोटे कृषि उपकरणों और गांवों के समूहों में बड़े उपकरणों के लिए कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया। स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण कार्यक्रम, जो इन सूक्ष्म-उद्यमों की स्थापना और प्रबंधन पर केंद्रित हों, को आवश्यक बताया गया। राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को मौजूदा क्षमता निर्माण संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा देने और बाजार से जोड़ने के लिए जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया गया।
अभियान का जमीनी स्तर पर प्रभाव
VKSA-2025 के तेरहवें दिन, डॉ. अंबरीश कुमार, डॉ. लेखचंद, इंजीनियर एस. एस. श्रीमाली, डॉ. श्रीधर पात्रा, डॉ. रमन जीत सिंह, डॉ. इंदु रावत और डॉ. अनुपम के नेतृत्व में सात वैज्ञानिक टीमों ने देहरादून और हरिद्वार जिलों के 18 गांवों का दौरा किया।
उन्होंने 850 किसानों को स्थानीय आवश्यकताओं और संसाधनों के अनुरूप खरीफ फसल प्रबंधन पर स्थान-विशिष्ट सलाह दी। इस दौरान जंगली जानवरों से फसल नुकसान, अपर्याप्त सिंचाई, गुणवत्तापूर्ण इनपुट की कमी, खरपतवार, कीट, रोग और विपणन की समस्याओं जैसी चुनौतियों का समाधान किया गया। ग्राम प्रधानों, प्रगतिशील किसानों और युवाओं को VKSA के उद्देश्यों और वैज्ञानिक खेती की खाद्य सुरक्षा और आजीविका बढ़ाने की क्षमता के बारे में जागरूक किया गया।
डॉ. एम. मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक, ने स्थानीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ समन्वय कर खेती तकनीकों, फसल सलाह और मृदा एवं जल संरक्षण प्रथाओं की जानकारी का समयबद्ध और व्यापक प्रसार सुनिश्चित किया।
VKSA-2025 अभियान (29 मई–12 जून 2025) डॉ. एम. मधु (निदेशक) के नेतृत्व में और डॉ. बांके बिहारी, डॉ. एम. मुरुगानंदम, अनिल चौहान (सीटीओ), इंजीनियर अमित चौहान (एसीटीओ), प्रवीण तोमर (एसटीओ) और मीनाक्षी पंत के समन्वय से टिकाऊ कृषि विकास के माध्यम से किसान समुदायों को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है।