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उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिए ICAR-IISWC के वैज्ञानिक डॉ. कौशल और डॉ. इंदु रावत सम्मानित

आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने 72वां स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया

देहरादून। 07 अप्रैल, 2025

आईसीएआर-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने सोमवार को मुख्य परिसर, देहरादून में संस्थान का 72वां स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया। समारोह में संस्थान के दो वैज्ञानिकों डॉ. राजेश कौशल और डॉ. इंदु रावत को उनके उत्कृष्ट अनुसंधान कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। क्षेत्रीय केंद्रों के छह अन्य वैज्ञानिकों को भी उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। समारोह में किसानों को भी सम्मानित किया गया।

समारोह में मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सुरेखा डंगवाल ने संस्थान की 72 वर्षों की यात्रा पर वैज्ञानिकों, अधिकारियों व कर्मचारियों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में संस्थान की जैव-इंजीनियरिंग तकनीकों के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की।

विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में संस्थान के प्रभावी कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने संस्थान की ग्रामीण एवं राष्ट्रीय विकास को समर्पित यात्रा का हिस्सा बनने के लिए आयोजकों का आभार व्यक्त किया।

निदेशक डॉ एम. मधु ने बताईं उपलब्धियां

संस्थान के निदेशक डॉ एम. मधु ने वर्ष 2024 के दौरान संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। इनमें 52 क्षमता विकास कार्यक्रम, 49 प्रदर्शनियां और लक्षित गतिविधियाँ, तथा 78 एक्सपोजर विजिट शामिल हैं, जिनका लाभ 3,746 लोगों को मिला। इसके अतिरिक्त, 585 छात्रों को मृदा एवं जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में प्रशिक्षण दिया गया।

संस्थान ने ₹2,686.63 लाख की लागत वाले 27 बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं शुरू कीं। 18 परामर्श एवं अनुबंध अनुसंधान परियोजनाएं पूरी कीं। संस्थान ने 115 उच्च प्रभाव वाले शोध पत्र प्रकाशित किए। 13 कार्यशालाएं/सम्मेलन आयोजित किए और परिसर में एक रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन की स्थापना की।

डॉ मधु ने बताया कि संस्थान ने कृषि भूमि के लिए 42 और गैर-कृषि भूमि के लिए 28 मृदा और जल संरक्षण तकनीकों का विकास किया है, जो जनसंख्या दबाव के बाद भी सतत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि देशभर के विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संस्थान के आठ क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों के तकनीकी प्रयास उल्लेखनीय हैं। वैश्विक जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में संस्थान द्वारा विकसित तकनीकें मृदा, जल एवं वनस्पति संसाधनों के सतत प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

मानव संसाधन विकास एवं सामाजिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. चरण सिंह ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। जल विज्ञान एवं अभियांत्रिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. आर.के. सिंह ने संस्थान के अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

प्रधान वैज्ञानिक एवं पीएमई एवं केएम इकाई के प्रमुख डॉ. एम. मुरुगानंदम ने उद्घाटन सत्र में हुई चर्चाओं का सारांश प्रस्तुत किया। मंच संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. लेख चंद ने किया।

प्रगतिशील किसानों को किया सम्मानित

संस्थान से जुड़े प्रगतिशील किसानों को भी सम्मानित किया गया। लांघा के पूर्व ग्राम प्रधान जगत राम ने संस्थान की प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन संबंधी प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा विकसित जल संसाधनों ने बंजर भूमि को कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित कर दिया।

कर्मचारियों औऱ बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिताएं

समारोह के अंतर्गत कर्मचारियों एवं बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं । सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन हुआ। उद्घाटन सत्र के दौरान पाँच नई शोध एवं तकनीकी बुलेटिन्स का विमोचन किया गया। इस अवसर पर लगभग 150 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही, जिनमें 35 वैज्ञानिक, 50 कर्मचारी, 15 प्रगतिशील किसान, आमंत्रित अतिथि शामिल शामिल हैं।

इस अवसर पर डॉ. जे.एम.एस. तोमर, डॉ. डी.वी. सिंह, इंजीनियर एस.एस. श्रीमाली, डॉ. मातबर सिंह राणा, डॉ. विभा सिंघल, डॉ. रमा पाल, डॉ. अभिमन्यु झाझरिया, डॉ. एम. शंकर, गिरीश भट्ट (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी), एच.एन. शर्मा, सुरेश कुमार, अनिल कुमार चौहान, इंजीनियर अमित चौहान, एच.एस. भाटिया, प्रकाश सिंह, टी.एस. रावत एवं संजय पंत आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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