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श्रीजन के पुनर्निर्माण कार्यों से संतुष्ट हुई गेल की टीम

  • 2013 की आपदा के बाद चार साल से पुनर्निर्माण में जुटी श्रीजन परियोजना
  • गेल इंडिया की अधिशासी निदेशक (सीएसआर) ने किया तीनों ब्लाक का निरीक्षण
  • लाभार्थियों ने परियोजना को जारी रखने की बात कहीः डीजीएम

रुद्रप्रयाग। न्यूज लाइव ब्यूरो

गेल इंडिया की अधिशासी निदेशक (सीएसआर) वंदना चानना ने टीम के साथ रुद्रप्रयाग जिले के तीन ब्लाकों ऊखीमठ, अगत्त्यमुनि और जखोली में चार साल से चल रहे आपदा राहत और पुनर्निर्माण कार्यों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान गेल की टीम ने इन ब्लाकों के दस गांवों के स्वयं सहायता समूहों और अन्य लाभार्थियों से परियोजना के बारे में जानकारी ली और उनके सुझाव जाने। केदारघाटी में 2013 की आपदा के बाद गेल इंडिया से वित्त पोषित श्रीजन परियोजना चलाई जा रही है। मानवभारती इस परियोजना के तहत आपदा प्रभावित गांवों में पुनर्वास के कार्य कर रहा है।

गेल इंडिया के उपमहाप्रबंधक (सीएसआऱ) अनूप गुप्ता का कहना है कि निरीक्षण के दौरान अधिशासी निदेशक (सीएसआर) वंदना चानना औऱ टीम ने ग्रामीणों और लाभार्थियों से परियोजना को लेकर फीड बैक और सुझाव हासिल किए। अधिशासी निदेशक ने श्रीजन परियोजना के कार्यों पर संतोष जताया है। ग्रामीणों ने भी इस परियोजना को जारी रखने की बात कही है। टीम ने दस गांवों का निरीक्षण किया। स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीणों से बात की गई। ग्रामीणों ने परियोजना से उनकी आजीविका के साधन मजबूत होने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्रीजन परियोजना के लाभार्थियों ने संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि इस परियोजना को जारी रखा जाए। इस दौरान ग्रामीणों ने चूल्हे कम मिलने की बात कही, लेकिन सोलर लाइटों और घराट निर्माण व सामुदायिक केंद्र बनाए जाने का स्वागत किया। ग्रामीणों ने टीम के स्वागत में भजन कीर्तन का भी आयोजन किया।

केदारघाटी में श्रीजन परियोजना

केदारनाथ घाटी में 2013 की आपदा के बाद गेल इंडिया ने रुद्रप्रयाग जिले के तीन ब्लाकों अगत्स्यमुनि, जखोली और ऊखीमठ में राहत और पुनर्निर्माण के कार्य शुरू कराए। इसके तहत मानवभारती ने श्रीजन परियोजना संचालित की। इस परियोजना के तहत आपदा प्रभावित परिवारों के दीर्घगामी और स्थाई पुनर्वास के कार्य किए गए। प्रभावितों को आपदा की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया गया। आपदा में कई लोग सदमे की वजह से अवसाद में चले गए थे। श्रीजन ने 93 लोगों की प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट से काउंसलिंग कराई। इनको कई बार की काउंसलिंग के माध्यम से सदमे से अवसाद से बाहर लाया गया। श्रीजन परियोजना ने प्रभावितों की आजीविका के लिए संसाधन जुटाए और उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाए गए। यहीं नहीं लोगों को आपदा से निपटने और बचाव के तरीकों की जानकारी देते हुए भूकंपरोधी निर्माण की जानकारी दी गई। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से छोटी-छोटी बचत और लोन व्यवस्था के जरिये प्रभावितों की आर्थिकी को मजबूत करने का काम किया गया। डिजास्टर रिलीफ वाहन उपलब्ध कराया। साथ ही सामुदायिक केंद्रों के माध्यम से ग्रामीणों के बनाए घरेलू उत्पादों की बिक्री कराई। खेती और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीणों को ट्रेनिंग के साथ मदद उपलब्ध कराई गई। सामाजिक वानिकी के लिए वृहद स्तर पर पौधारोपण किया गया। आर्गेनिक सब्जियों की खेती और पशुओं के लिए चारा उत्पादन की तकनीकी जानकारी दी गई। इसके साथ ही श्रीजन के तहत कई प्रोग्राम चलाए गए, जिनसे चार हजार लोगों को सीधे तौर पर राहत पहुंचाई औऱ दस हजार से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर लाभ हासिल हुआ।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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