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World Diabetes Day: महिला मधुमेह रोगियों में पुरुषों की तुलना में हृदयरोग की आशंका अधिकः स्टडी

विश्व मधुमेह दिवस (14 नवंबर) पर AIIMS Rishikesh ने जारी किया विशेष लेख

ऋषिकेश। 13 नवंबर, 2024

शोध कार्यों से पता चलता है कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं को समान स्थिति वाले पुरुषों की तुलना में हृदय संबंधी घटनाओं का अधिक जोखिम (50 प्रतिशत) तक का सामना करना पड़ता है।

जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में पुरुषों की तुलना में कम उम्र में हृदय रोग की आशंका अधिक होती है। इसका एक प्रमुख कारक हृदय स्वास्थ्य पर हार्मोनल प्रभाव है। एस्ट्रोजन, जिसका हृदय प्रणाली पर सुरक्षात्मक प्रभाव होता है, रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में काफी कम हो जाता है, जिससे उन्हें अधिक जोखिम होता है। मधुमेह महिलाओं के लिए, यह अतिरिक्त जोखिम मधुमेह से जुड़े चयापचय परिवर्तनों, जैसे इंसुलिन प्रतिरोध और डिस्लिपिडेमिया (असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर) से और भी बढ़ जाता है।

जबकि, मधुमेह से ग्रसित पुरुषों में भी हृदय संबंधी जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है, वह महिलाओं की तुलना में कम उम्र में हृदय रोग से भी ग्रसित हो जाते हैं, और अक्सर बीमारी की जटिलताओं व आक्रामक रूप का सामना करते हैं।

एम्स ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभागाध्यक्ष एवं मधुमेह रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर रविकांत के अनुसार मधुमेह वाले पुरुषों में कोरोनरी धमनी रोग और मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (दिल का दौरा) जैसी स्थितियों से पीड़ित होने की अधिक आशंका होती है। हालांकि, हाल के शोध से पता चलता है कि मधुमेह से ग्रसित पुरुषों को महिलाओं की तरह ऐसी उच्च जोखिम वाली दीर्घकालिक जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ता है, जिसमें हृदय विफलता और स्ट्रोक शामिल हैं।

मधुमेह रोगियों में सी.वी.डी. में लैंगिक अंतर के सबसे चिंताजनक पहलुओं में से एक निदान और उपचार में असमानता है। इस तथ्य के बावजूद कि मधुमेह रोग से ग्रसित महिलाओं में हृदय संबंधी रोग का अधिक जोखिम होता है, उन्हें पुरुषों की तुलना में हृदय रोग के लिए बेहतर उपचार मिलने की संभावना कम होती है। महिलाओं को अक्सर हृदय रोग के लिए कम निदान और कम उपचार दिया जाता है, भले ही उनके लक्षण पुरुषों के समान हों।

उदाहरण के लिए, मधुमेह से पीड़ित महिलाओं को स्टैटिन और एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम (ACE) अवरोधक जैसी दवाएं निर्धारित किए जाने की संभावना कम होती है, जो हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए सिद्ध हैं।

जैसे-जैसे चिकित्सा समुदाय इन लैंगिक असमानताओं के बारे में शोध कार्यों,अनुसंधानों, अध्ययनों से अधिक जागरूक होता जा रहा है, विशेषज्ञ मधुमेह रोगियों के लिए लिंग-विशिष्ट शोध और व्यक्तिगत देखभाल पर अधिक जोर देने का आह्वान कर रहे हैं।

हृदय रोग विशेषज्ञ और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट इस बात पर जोर देते हैं कि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग की पैथोफिज़ियोलॉजी पुरुषों की तुलना में काफी भिन्न हो सकती है, जिसके लिए अनुकूलित उपचार रणनीतियों की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा, महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों को संबोधित करना – जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और मानसिक स्वास्थ्य – परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लिहाजा महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य को नैदानिक शोध और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों दोनों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

मधुमेह रोगियों में हृदय रोग में लैंगिक अंतर के बारे में बढ़ते साक्ष्य अधिक सूक्ष्म देखभाल रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करते हैं। चूंकि मधुमेह हृदय संबंधी जटिलताओं के लिए एक प्रमुख जोखिम का कारक बना हुआ है, इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भिन्न -भिन्न लिंग के लिहाज से रोग की प्रगति, परिणामों को उनके स्वास्थ्य में सुधार की प्रगति व उसे बेहतर बनाने की प्रक्रिया को किस तरह से बाधित अथवा प्रभावित करता है।

लिहाजा स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि उपचार और रोकथाम के लिए एक ही तरह के उपाय अब पर्याप्त नहीं हैं और चिकित्सा समुदाय को भिन्न -भिन्न  लिंग की परवाह किए बिना मधुमेह रोगियों की अनूठी जरूरतों के अनुकूल होना चाहिए। मधुमेह और हृदय रोग के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत चिकित्सा का समय आ गया है, जो इन महत्वपूर्ण अंतरों को पहचानती है और उनका जवाब देती है।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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