Creativity
ओ धूप
*अनीता मैठाणी
ठहरे रहो ना…
कुछ देर…
आकर मेरे…
दरवाजे पर…
खिड़की पर…
पहली फु़र्सत में…
आऊँगी…
हाथ सुखाने के बहाने…
तुमसे…
दो चार बातें कर जाऊँगी…
कुछ देर…
आकर मेरे…
दरवाजे पर…
खिड़की पर…
पहली फु़र्सत में…
आऊँगी…
हाथ सुखाने के बहाने…
तुमसे…
दो चार बातें कर जाऊँगी…
मेरी खिड़की पर…
ठिठके सूरज…
सुनो ना…
मेरी…
छोटी सी इल्ति़जा…
खोल दूंगी…
बालों की तरह…
बातों की गिरह…
बाल सुखाऊँगी…
कुछ बातें कह जाऊँगी…