FeaturedSHORT STORY FOR KIDS

आपको पसंद आएंगी ये कहानियां

एक राजा था, जिसको अपने राज्य की जनता और दरबारियों की परीक्षा लेने के लिए नये-नये प्रयोग करने में आनंद आता था। राजा इन प्रयोगों के माध्यम से सभी को कुछ न कुछ संदेश देना चाहता था। एक बार राजा ने अपने अधिकारियों से कहा कि आपको कर्तव्य और अधिकार में से किसी एक को चुनना है। राजा के निर्देश के अनुसार सभी ने एक पेटी में अपनी-अपनी पर्ची जमा कर दी। राजा ने पेटी को खुलवाकर स्वयं ही एक-एक पर्ची को देखा।
 
जंगल में रहने वाले चूहे को खाने के लिए अखरोट मिला, लेकिन वह अपने छोटे दांतों से अखरोट को तोड़ नहीं पा रहा था। अखरोट काफी सख्त होने की वजह से चूहा काफी परेशान हो गया। उसने कहा- हे भगवान, मेरे पास खाने के लिए शानदार भोजन है, लेकिन अपने छोटे दांतों की वजह से इसे खा नहीं पा रहा हूं। क्या आप मुझे दूसरे दांत नहीं दे सकते। …
 
वर्षों पहले सूरज और पानी बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों धरती पर रहते थे। सूर्य अक्सर पानी के घर आता था, लेकिन पानी सूरज के घर नहीं जा पाता था। एक दिन सूरज ने पानी से कहा- दोस्त तुम मेरे घर क्यों नहीं आते। पानी ने जवाब दिया-दोस्त, तुम्हारा घर इतना बड़ा नहीं है कि मैं उसमें आ सकूं, क्योंकि मेरे साथ मेरे जीव जंतु भी तुम्हारे घर आएंगे, वहां इतने सबके लिए व्यवस्था नहीं हो सकेगी।
 
किसी जमाने में आबादी के बीच एक पेड़ पर एक बूढ़ा उल्लू रहता था। उल्लू अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सुनता और देखता रहता। वह कम ही बोलता था, लेकिन सुनता अधिक था। उसका मानना था कि सुनना अधिक चाहिए, बोला उतना ही जाए, जितनी जरूरत हो।
 
अफ्रीका में बिना पूंछ वाला एक जीव पाया जाता है, जिसका नाम डैसी (Dassie) है। इसकी पूंछ क्यों नहीं है, इसका जवाब एक लोककथा से मिलेगा, जो अक्सर सुनाई जाती रही है। बहुत पुरानी बात है, जंगल का राजा शेर ही एक मात्र ऐसा जानवर था, जिसकी पूंछ थी। शेर ने सोचा, क्यों न सभी जानवरों के लिए पूंछ का इंतजाम किया जाए। उसने जानवरों के लिए पूंछ का इंतजाम किया।
 
बुजुर्ग व्यक्ति अपने बेटे, पुत्रवधु और पोते के साथ रहने के लिए उनके घर आए। उनके हाथ कांप रहे थे। उनको कम ही दिखाई देता था। वह सही तरह से चल भी नहीं पा रहे थे। पूरे परिवार ने एक साथ खाना खाया। भोजन के समय बुजुर्ग के हाथों में कंपन की वजह से खाना प्लेट से बाहर गिर रहा था। वह बड़ी मुश्किल से खाना खा पा रहे थे। चम्मच बार-बार हाथ से छूट रही थी। ग्लास से पानी गिर गया। यह देखकर बेटे और पुत्रवधु को परेशानी महसूस होने लगी। उन्होंने बुजुर्ग की शारीरिक दिक्कत को अपनी समस्या के रूप में लिया और इसका समाधान भी खोज लिया।


Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button