FeaturedInspirational story

जब चूहे को पसंद आ गए हाथी के दांत

एक बार की बात है। जंगल में रहने वाले चूहे को खाने के लिए अखरोट मिला, लेकिन वह अपने छोटे दांतों से अखरोट को तोड़ नहीं पा रहा था। अखरोट काफी सख्त होने की वजह से चूहा काफी परेशान हो गया। उसने कहा- हे भगवान, मेरे पास खाने के लिए शानदार भोजन है, लेकिन अपने छोटे दांतों की वजह से इसे खा नहीं पा रहा हूं। क्या आप मुझे दूसरे दांत नहीं दे सकते।

थोड़ी ही देर में चूहे ने सुना कि भगवान उससे कह रहे हैं कि तुम्हें जिस भी जानवर जैसे दांत चाहिए, मुझे बता दो, मैं तुम्हारे दांत भी वैसे ही कर देता हूं। चूहा पूरे जंगल में घूम लिया, लेकिन उसको किसी भी जानवर के दांत पसंद नहीं आए। अाखिर में उसे बड़े दांतों वाला हाथी दिखाई दिया। उसे हाथी के सफेद बड़े दांत पसंद आ गए। उसने हाथी से पूछा- आपके दांत तो बहुत खूबसूरत हैं। आप इन दांतों को पाकर खुश तो हो।

हाथी ने कहा- ये दांत किसी काम के नहीं हैं। तुम्हारी तरह इन दांतों से मैं कुछ भी चबा नहीं पाता। ये केवल शो के लिए हैं। इनका बोझ ढोते-ढोते थक जाता हूं। तुम तो बहुत अच्छे हो, जो तुम्हें बड़े दांतों का बोझ नहीं ढोना पड़ता। अब चूहे की समझ में आ गया। उसने भगवान से कहा, छोटे-छोटे दांत देने के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button