बुद्धिमान उल्लू
किसी जमाने में आबादी के बीच एक पेड़ पर एक बूढ़ा उल्लू रहता था। उल्लू अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सुनता और देखता रहता। वह कम ही बोलता था, लेकिन सुनता अधिक था। उसका मानना था कि सुनना अधिक चाहिए, बोला उतना ही जाए, जितनी जरूरत हो। जरूर पढ़ें- भूखा शेर और तीन बकरियां
आबादी में हो रही घटनाओं का आकलन करते हुए उसका अनुभव बढ़ रहा था। एक दिन उसने देखा कि एक बालक किसी बूढे़ व्यक्ति की भारी टोकरी को लेकर चल रहा था। वह बालक बूढ़े की मदद कर रहा था। दूसरे दिन उसने देखा कि एक बालिका अपनी मां पर गुस्सा करते हुए चिल्ला रही थी। उल्लू ने सोचा कि इंसानों में भी तरह-तरह के लोग हैं। जरूर पढ़ें- कौए से क्यो छिपता है उल्लू
वह अक्सर लोगों को किस्से कहानियां सुनाते हुए और सुनते हुए देखता। उसने एक महिला को यह कहते हुए सुना कि जंगल से आया हाथी तारबाड़ को तोड़कर आबादी में घुस गया। वहीं एक आदमी कह रहा था कि उसने कभी गलती नहीं की। उल्लू ने लोगों के बारे में सुनकर और देखकर यह अंदाजा लगाया कि इनमें से कुछ अच्छे हैं और कुछ अच्छे नहीं हैं। वह लोगों के अनुभवों को सुनकर बुद्धिमान हो रहा था। जबकि वह कम ही बोलता था। कुल मिलाकर यही कहना है कि घटनाओं को आब्जर्व करें। कम बोले और ज्यादा सुने। यही सब बातें बुद्धिमान और ज्ञानवान बनाती हैं। (अनुवादित)