दो हजार ई रिक्शा चालकों में अकेली महिला, वो भी दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट
मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले की निवासी मधु तपोवन से रायवाला तक ई रिक्शा चलाती हैं
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
तपोवन से लेकर रायवाला तक दो हजार से अधिक ई रिक्शा (e-rickshaw) हैं, जो यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं। इन सभी ई रिक्शा के चालक पुरुष हैं, सिवाय एक को छोड़कर, जिसे रायवाला की 45 वर्षीय मधु चलाती हैं। बीती 16 जनवरी ई रिक्शा चलाते हुए तीन साल पूरे करने वाली मधु को, लोग “ई रिक्शेवाली दीदी” कहकर पुकारते हैं।
हम, मधु दीदी से मिलना चाहते थे, पर वो कहां मिलेंगी, यह हमें मालूम नहीं था। हमने लक्ष्मणझूला रोड पर एक दुकानदार से पूछा, तो उन्होंने कहा, आप यहीं रुके रहो, वो यहीं से होकर जाती दिखेंगी। हम वहां रुके रहे और कुछ देर में देखा, मधु ई रिक्शा में यात्रियों को लेकर लक्ष्मणझूला की ओर जा रही थीं। एक स्टॉपेज पर मधु से हमने उनके इंटरव्यू की अनुमति चाही। उन्होंने कहा, ठीक है आप स्टॉपेज पर पहुंचिए।
हम उनके ई रिक्शा के साथ-साथ, तपोवन पहुंच गए, जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई से लेकर ई रिक्शा के स्वरोजगार पर बात की।
मधु जब ई रिक्शा खरीदने के लिए शो रूम पर पहुंचीं तो उनके पास डाउन पेमेंट के लायक भी पैसे नहीं थे। वहां पूछा गया, “रिक्शा कौन चलाएगा”। मधु ने कहा, “मैं चलाऊंगी।” तो शोरूम के अधिकारी चौंक गए। उन्होंने कहा, “यहां तो महिलाएं ई रिक्शा नहीं चला रही हैं। क्या आप ऐसा कर पाएंगी।” मधु ने जवाब दिया, “क्यों नहीं, मैं चला सकती हूं।” उनका कहना था, “ई रिक्शा की डाउन पेमेंट ज्यादा होगी, क्या आप जमा कर पाएंगी।” मैंने उनसे कहा, “क्या आप डाउन पेमेंट कम कर सकते हैं, मैं पूरा पैसा चुका दूंगी।” मधु के अनुरोध पर, उन्होंने कहा, “आप किश्तें धीरे-धीरे चुका दीजिए।” आज जब वो मुझे लगातार तीन साल से रिक्शा चलाते हुए देखते हैं तो खुश होते हैं।
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मधु बताती हैं, “इससे पहले मैं स्कूटी, साइकिल चलाती थी। पहले कभी ई रिक्शा नहीं चलाया था।”
मूल रूप से रुद्रप्रयाग जिले की निवासी मधु दो विषय हिन्दी और अर्थशास्त्र में पोस्टग्रेजुएट हैं। कोरोना संक्रमण के समय पति शिव प्रसाद सती की नौकरी नहीं रही। परिवार को आर्थिक संकट से उबारने के लिए निर्णय लिया कि हम स्वरोजगार करेंगे। उन्होंने हरिद्वार में एक महिला को ई रिक्शा चलाते हुए देखा था, उनसे प्रेरित होकर मधु ने ई रिक्शा चलाने का फैसला लिया। मधु के अनुसार, “मुझे बताया था, ई रिक्शा चलाना बहुत आसान है। आप चला सकती हैं।”
मधु ने परिवार में बात की, सभी ने कहा, “यह कठिन फैसला है। ऋषिकेश से लेकर हरिद्वार तक सभी सार्वजनिक वाहन पुरुष चलाते हैं, आप उनमें अकेली महिला होंगी। आप कुछ और कार्य कर सकती हैं। पर, मैंने दृढ़ फैसला कर लिया था कि ई रिक्शा चलाऊंगी।” फिर, पति ने भी हौसला बंधाया और सहयोग किया। मधु बताती हैं, उन्होंने पति से कहा, आपका सहयोग चाहिए, मैं दुनिया से जीत लूंगी।”
“यह देवनगरी है, यहां सभी सुरक्षित हैं। मेरे से आज तक किसी ने कोई अपशब्द नहीं कहा। सभी सम्मान करते हैं।”
मधु कहती हैं, “मेरा मानना है, महिलाएं भी वो सभी कार्य कर सकती हैं, जो पुरुष करते हैं। दूसरे शहरों में, महिलाएं भी ई रिक्शा चलाती हैं। हमें इस बात पर ध्यान नहीं देना है कि लोग क्या कहेंगे। हमें वो करना है, जो हमें हमारे लिए सही हो और हमें अच्छा लगता हो। शुरुआत में कुछ दिक्कतें हुईं, टोका टाकी भी हुई, पर समय के साथ-साथ सब सही होता गया। आज लोग मुझ पर गर्व करते हैं। वो कहते हैं, आपसे मिलकर खुशी हुई।
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जब से ई रिक्शा खरीदा, तब से एक दिन भी छुट्टी नहीं की, होली-दीवाली पर भी नहीं। मैं त्योहार भी बहुत खुश होकर मनाती हूं। पर, त्योहार के दिन समय को कुछ इस तरह निर्धारित कर लेती हूं कि छुट्टी न हो। सुबह खाना खाकर घर से चलती हूं, दिनभर कुछ नहीं खाती। घर पहुंचकर ही खाना खाती हूं। गर्म पानी से भरी एक बोतल हमेशा साथ रहती है।
मधु रायवाला से लेकर तपोवन, ऋषिकेश शहर, एयरपोर्ट तक ई रिक्शा से यात्रियों को पहुंचाती हैं। कभी कभी उनका ई रिक्शा पूरे दिन के लिए बुक हो जाता है। सुबह नौ बजे से ई रिक्शा सड़क पर आ जाता है और फिर कभी-कभी रात के 11 भी बज जाते हैं।
दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद भी ई रिक्शा चलाना, आप किसी स्कूल में शिक्षिका हो सकती थीं, किसी दफ्तर में सेवाएं दे सकती थीं, पर उन्होंने बताया, “एक निजी स्कूल में पढ़ाती थी, शिक्षिकाओं को डेढ़ से दो हजार रुपये मिलते हैं। मुझे बच्चों की परवरिश सही तरह से करनी है, इसलिए ई रिक्शा चलाना बेहतर विकल्प है।”
“पर्यटन सीजन में यानी गर्मियों में, औसतन 700-800 रुपये प्रतिदिन आय हो जाती है, जबकि ऑफ सीजन में घटकर 400-500 रुपये रह जाती है। इन दिनों ऑफ सीजन है, घर शाम सात बजे तक लौट जाती हूं,” मधु बताती हैं।
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क्या कभी पुलिस ने चालान भी काटा, पर मधु बताती हैं, “तीन साल में एक भी चालान नहीं। एक दो बार रामझूला पर चालान काटने के लिए कहा था पुलिस ने। वैसे मैं ट्रैफिक के नियमों का पूरा पालन करती हूं। मैं ऐसी कोई ड्राइविंग नहीं करती, जो लोगों के लिए मुसीबत बनें या पुलिस को परेशान करे। पुलिस का हमेशा सहयोग मिलता है, हम भी चाहते हैं, उनको सहयोग करें। सड़क है, कभी कभार गलती हो जाती है, पर हमेशा गलती नहीं करते।”
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ई रिक्शा के टायर पंक्चर होने पर मधु खुद ही बदलती हैं। उन्होंने यह सबकुछ सीखा है।
मधु बताती हैं, “उनकी इच्छा है, जब बच्चे सफल हो जाएंगे तो मैं बुजुर्गों को फ्री में ई रिक्शा में एक जगह से दूसरी जगह छोड़ने की सेवाएं दूंगी। आज भी बुजुर्गों से कभी किराया नहीं मांगती, वो अपनी इच्छा से जो पैसे दे देते हैं, स्वीकार कर लेती हूं। 15 अगस्त को मेरी माताजी का देहांत हुआ था। 15 अगस्त को एक बुजुर्ग महिला मिलीं, उन्होंने पूछा, क्या किराया होगा। मैंने उनसे कहा, माताजी आप अपनी इच्छा से दे दीजिएगा। आज भी वो बुजुर्ग महिला मुझसे मिलती हैं। उनकी कोई बेटी नहीं है। मुझे अपनी बेटी मानती हैं।”
हम यहां रहते हैं-