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राहुल गांधी,महिला आरक्षण, विनम्रता और छोले भटूरे

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में तमिलनाडु के कन्याकुमारी के एक स्कूल के कुछ “दोस्तों” के लिए दिवाली रात्रिभोज का आयोजन किया और उनसे बातचीत की।

दिल्ली में अपने आवास पर इन छात्रों के साथ दिलचस्प बातचीत के दौरान, पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने कई सवालों के जवाब दिए और उनके साथ छोले भटूरे का लुत्फ उठाया।

राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं, ने ट्विटर पर एक मिनट लंबा वीडियो साझा किया और कहा कि उन्होंने कुछ माह पहले तमिलनाडु के सेंट जोसेफ मैट्रिक हायर सेकेंडरी, मुलगुमुडु, कन्याकुमारी (St. Joseph’s Matric Hr. Sec. School in Mulagumoodu) का भ्रमण किया। हाल ही में, वहां से छात्रों का एक समूह उनसे मिलने दिल्ली आया था। शुक्रवार को हुई बातचीत के दौरान उनकी बहन कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा भी मौजूद थीं।

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “संस्कृतियों का यह संगम हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है और हमें इसे संरक्षित रखना चाहिए।”

उपस्थित लोगों में से एक ने राहुल गांधी से पूछा कि अगर वह प्रधानमंत्री बनते हैं तो उनका पहला सरकारी आदेश क्या होगा, जिसे वह मंजूरी देंगे। इस पर उन्होंने कहा, मैं महिला आरक्षण दूंगा।

“अगर कोई मुझसे पूछे कि आप अपने बच्चे को क्या सिखाएंगे, तो एक बात मैं कहूंगा कि नम्रता। क्योंकि नम्रता से ही समझ आती है।” , राहुल गांधी ने कहा।

बाद में, कांग्रेस नेता गांधी ने छात्रों से पूछा, “डिनर की क्या योजना है?” और खुद सुझाव दिया, “क्या हम यहां छोले भटूरे खाने की व्यवस्था कर सकते हैं?”

बातचीत के बाद, लोगों ने राहुल व प्रियंका गांधी के लिए “वी विश यू हैप्पी दिवाली” गाया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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