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क्या दूधली घाटी में प्रदूषित सुसवा नदी बन रही कैंसर की वजह?

क्षेत्र के लोगों ने डोईवाला की उपजिलाधिकारी को ज्ञापन देकर सुसवा के पानी की जांच की मांग की

Is the polluted Suswa river in Dudhli valley becoming the cause of cancer?

डोईवाला। न्यूज लाइव

बासमती की खेती के लिए प्रसिद्ध दूधली घाटी के गांवों की खेती को प्रदूषित सुसवा नदी की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। क्षेत्र के निवासियों ने खेती ही नहीं बल्कि क्षेत्र में सुसवा के दूषित पानी की वजह से क्षेत्र में कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ने की बात कही है। उनका कहना है कि सुसवा नदी के पानी की जांच तथा क्षेत्र के लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय कराए जाएं। इस संबंध में उन्होंने डोईवाला के उपजिलाधिकारी कार्यालय में ज्ञापन दिया है।

दूधली से सुगंध वाली बासमती को क्या सुसवा ने गायब कर दिया

आइए, सुसवा के लिए कुछ करें  

सिमलास ग्रांट के पूर्व प्रधान उमेद बोरा ने बताया कि एसडीएम कार्यालय को दिए ज्ञापन में कहा गया है, दूधली न्याय पंचायत मारखम ग्रान्ट क्षेत्र में कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लोगों को आशंका है कि सुसवा नदी का दूषित पानी, जो कि जहर के समान है, की वजह से कैंसर रोग हो रहा है।

ज्ञापन में एसडीएम से सुसवा नदी के दूषित पानी की जाँच कराने तथा प्रभावित गांवों में रोगियों की संख्या बढ़ने के कारणों की जांच कराने तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय कराने की मांग की गई।

ज्ञापन देने वालों में क्षेत्रवासी कांग्रेस परवादून जिला अनुसूचित विभाग के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता सुदेश सहगल, प्रेम सिंह पांचाल, जितेंद्र वर्त्वाल, सुरेंद्र रावत, राम सिंह महर, अशोक पाल आदि शामिल थे।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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