करीब आधा घंटे तक जल में रहकर देश विदेश के योगसाधकों को संबोधित किया
ऋषिकेश। प्रख्यात योग साधक डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने शनिवार रात्रि अत्यधिक ठंड में गंगा नदी में प्रवेश किया और करीब आधा घंटे तक जल में रहकर साधकों को प्राच्य विधा एवं संस्कृति तथा जल तत्व से ऊर्जा ग्रहण करने के अभ्यास पर संबोधित किया। इस दौरान उनके शरीर का आधा भाग गंगाजल में था। डॉ. जोशी की जल तत्व से ऊर्जा ग्रहण करने की साधना को सोशल मीडिया पर देश विदेश में देखा गया।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में योग विभागाध्यक्ष डॉ.जोशी ने ऋषिकेश में श्री काली कमली वाला आश्रम के पास गंगा नदी में प्रवेश किया। उन्होंने गंगा में पूर्णिमा के चंद्रमा के प्रतिबिंब के दर्शन कराते हुए बताया कि जल में प्रतिबिंब पर ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। यह योग साधना का बल ही है कि कड़ाके की सर्द रात डॉ. जोशी को प्रभावित नहीं कर पा रही थी।
हालांकि, डॉ. जोशी बताते हैं कि वो नियमित रूप से गंगा में स्नान करते हैं, पर शनिवार रात्रि उन्होंने योग साधकों के लिए इसको सोशल मीडिया पर लाइव किया।
उन्होंने साधकों को संबोधित करते हुए कहा, नैगेटिक एनर्जी परेशान करती है। शुद्धिकरण होते रहना चाहिए। इसके लिए ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। ब्रह्ममुहूर्त में गुरुमंत्र में ध्यान लगाइए। सकारात्मक ऊर्जा लेने का प्रयास करें। ऊर्जा किस प्रकार लेनी है, यह महत्वपूर्ण विषय है।
बताते हैं कि वर्षों से गंगा जल में स्नान कर रहे हैं, यह अभ्यास की शक्ति है कि उनको यहां इतनी अधिक सर्दी में भी ठंड का अहसास नहीं हो रहा है। निरंतर अभ्यास करने से दिक्कतें नहीं आतीं।
डॉ. जोशी ने बताया, गंगा जल ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है। गंगा जल में हिमालय की जड़ी बूटियां शामिल हैं, हिमालय में ऋषिमुनियों ने जो तप किया है, उसका अंश गंगा में सदैव रहता है। हम लोगों का सौभाग्य है कि हम भारत में रहते हैं। हरिद्वार- ऋषिकेश में साक्षात मां गंगा हैं। शक्ति को जाग्रत करने के लिए गंगा जल में अभ्यास कर सकते हैं। इससे ऊर्जा मिलेगी। अभ्यास करने से ठंड भी नहीं लगेगी।
डॉ.जोशी कहते हैं, मैंने पूरे आनंद के साथ गंगा जल में प्रवेश किया। बताते हैं, यहां कोई ठंडक नहीं है। क्या आप मुझे देखकर कह सकते हैं कि मुझे ठंड लग रही होगी। आप जाड़े से बचने के लिए शरीर को जितना ढंकोगे, उतना ही अधिक जाड़ा लगेगा। पर, वो साथ ही यह हिदायत भी देते हैं कि आप अभी से ऐसा न करें कि ठंडे जल में उतर जाएं, वो तो वर्षों से यह अभ्यास कर रहे हैं। साधक को निरंतर अभ्यास से ही ऊर्जा प्राप्त होती है।
कहते हैं, सबसे महत्वपूर्ण बात है, आप योग मुद्राओं के माध्यम से एनर्जी प्राप्त कर सकते हैं। योगाभ्यास करिए, किसी प्रकार को कोई कष्ट नहीं होगा। साधक नाड़ी शोधन का अभ्यास करें, यह उनके लिए लाभकारी होगा। शरीर में वात कफ पित्त को व्यवस्थित करने के लिए आहार को संयमित करिए, नहीं तो परेशानी होती है।
डॉ. जोशी बताते हैं, सामान्य रूप से आहार ऊर्जा का स्रोत है। पर, योगी के लिए आहार ही ऊर्जा का स्रोत नहीं है, वो कहीं से भी ऊर्जा ले सकते हैं. स्वयं को व्यवस्थित कर सकते हैं। हमारे लिए आहार कुछ प्रतिशत ऊर्जा का स्रोत है, पर उतना नहीं, जितना सामान्य व्यक्ति के लिए।
प्रख्यात योगाचार्य डॉ. जोशी कहते हैं, कितनी भी देर ठंडे जल में रह सकते हैं। हम निरंतर अभ्यास करें, संयमित एवं व्यवस्थित रहें तो जल तत्व से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
नाड़ी विज्ञान की समृद्धता पर बात करते हैं। बताते हैं, कोरोना के दौर में नाड़ी विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान रहा। हम इसे और समृद्ध करेंगे। अच्छे प्रशिक्षक तैयार करेंगे। यह प्रयास ऋषिकेश से होना है।
उन्होंने बताया कि इस समय मैं यहां बाबा काली कमली वाले आश्रम के पास हूं। यहां नियमित आता हूं। विशेष स्थल है। मेरे बाईं ओर स्वामी राम जी का आश्रम है। पीछे वाला परिसर बाबा काली कमली वाले आश्रम का है।
उन्होंने प्राच्य विधाओं के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा, यह महत्वपूर्ण कार्य आप और हमें मिलकर करना है। इस विधा को कैसे बचा सकते हैं, हमें सोचना है। इसको गंभीरता से, लगन से सीखना होगा, नहीं तो प्राच्य विधाएं लुप्त हो जाएंगी। कोविड के दौर में हमें प्राच्य विधाओं का बहुत लाभ मिला।
डॉ. जोशी बताते हैं, पूर्णिमा पर ध्यान को प्रारंभ कर सकते हैं। गंगा जी में स्नान का बहुत आनंद लेता हूं। यह सकारात्मक शक्ति को बढ़ाने का अभ्यास है। चाहे कितना भी पारा ऊपर नीचे होता रहे, यह उनका नियमित अभ्यास है। उन्होंने यह भी कहा, आपको इतनी ठंड में जल में खड़े नहीं रहना है। मुझे बचपन से अभ्यास है। पहले, आप निरंतर अभ्यास कीजिए, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होने के लिए शुद्धता पर ध्यान दीजिए।
उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है।
लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली।
बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है।
रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है।
ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं।
बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं।
शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी
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राजेश पांडेय
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