बंटी हुई औरतों के बीच आज़ाद औरतें ???
कुछ औरतें छोटे छोटे राज्यों में विभक्त हो गई हैं
जिनमे राज करते हैं कुछ निरंकुश
औरतों के भीतर से बंटे हुए देश
एक विश्व होने की कल्पना में प्रलाप करते हैं।
कुछ औरतें नदी हैं, जो स्वतंत्र होकर बहती हैं
स्वतंत्रता असहनीय है, बांट दी जाती हैं नदियां
छितरे राज्यों में विवाद छिड़ जाता है..
नदी के शरीर को लेकर जो जीवन देता हैं
इन निरंकुश शासकों को।
कुछ औरतें मछलियां हैं जो आज़ादी से तैर रही हैं
नदियों में मछुवारे तैनात किए जाते हैं
, जाल फेंका जाता है
और दफना दिया जाता है
उनकी आजादी को खंडित आंगन में!
कुछ औरतें बारिश हैं,
कुछ हवा तो कुछ मिट्टी हवा बहती है ,
बारिश की फुहारें आती है सूखी मिट्टी का कलेजा भिगाती हैं,
आंगन में उगता है एक हरसिंगार का पेड़, फूल झरते हैं।
कुछ औरतें खुशबू बन जाती हैं,
जो हवा में घुल जाती हैं।
बंटे हुए राज्य, नदियां दफनाई गई मछलियां मुस्कराती हैं।
निरंकुशता दफ़न होने को है!
औरतें देश बनने को हैं..
विश्व तैयार होने को है।