
भागीरथ मोबाइल एप पर साझा करें संकटग्रस्त जल स्रोतों की जानकारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लांच किया एप, जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान
देहरादून। 28 मार्च, 2025
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में जल संरक्षण अभियान 2025 के अंतर्गत एक दिवसीय कार्यशाला में जल संरक्षण अभियान 2025 की थीम ‘‘धारा मेरा, नौला मेरा, गांव मेरा, प्रयास मेरा’’ पर आधारित भागीरथ मोबाइल एप लांच किया और एक ब्राशर का विमोचन किया। इस एप के माध्यम से लोग अपने क्षेत्र के क्रिटिकल और संकटग्रस्त जल स्रोतों की जानकारी साझा कर सकेंगे। एप के माध्यम से चिन्हित स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में सरकार कार्य करेगी।
6500 से अधिक जल स्रोतों का संरक्षण किया
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के जल स्रोतों, नौलों, धारों तथा वर्षा आधारित नदियों के संरक्षण के उद्देश्य से स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी (सारा) का गठन किया है। सारा ने पिछले वर्ष विभिन्न विभागों के सहयोग एवं समन्वय स्थापित कर प्रदेश के लगभग 6500 से अधिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए उपचार कार्य किए। लगभग 3.12 मिलियन घन मीटर वर्षा जल का संचयन करने में भी सफलता प्राप्त की है।
आईआईटी रुड़की और एनआईएच बना रहे डीपीआर
मुख्यमंत्री ने कहा, Spring and River Rejuvenation Authority (SARA) जहां एक ओर, मैदानी क्षेत्रों में केन्द्रीय भू-जल बोर्ड के सहयोग से भू-जल रिचार्ज के लिए विभिन्न प्रयास कर रही है, वहीं प्रदेश की नदियों को पुनर्जीवित करने के प्रथम चरण में तकनीकी एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर नयार, सौंग, उत्तरवाहिनी शिप्रा एवं गौड़ी नदी के उपचार के लिए आईआईटी, रुड़की एवं एनआईएच रुड़की के सहयोग से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है।
जल संरक्षण के लिए ग्राम से राज्य स्तर तक व्यापक अभियान
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल उन्नति, प्रगति जीवन और विकास का मुख्य आधार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश में जल संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। इसमें जन सहयोग भी लिया जा रहा है। जल संरक्षण के अभियान को ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक व्यापक रूप से चलाया जाएगा। इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी, विधायक खजान दास, मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, जलागम प्रबंधन से नीना ग्रेवाल, पर्यावरणविद चंदन सिंह नयाल, कुंदन सिंह पंवार और पर्यावरण और जल संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे लोग उपस्थित थे।