health

डायबिटीज में फायदेमंद जामुन की गुठली

गर्मी के आखिरी और बारिश की शुरूआत में काले-काले रसीले जामुन हर जगह देखने को मिलेगें। इन दिनों बाजार में आम के साथ-साथ जामुन की भी बहार आई है। थोड़े समय के लिए आने वाला जामुन स्वाद में खट्टा मीठा होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत अधिक फायदेमंद होता है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक जामुन की गुठली का औषधीय महत्व होता है। जिसे हम – आप बेकार समझकर फेंक देते हैं वह आपकी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद होती है? जामुन की गुठली डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हालांकि डायबिटीज के मरीजों के लिए जामुन एक बेहतर फल माना जाता है। लेकिन डायबिटीज में केवल जामुन ही नहीं, बल्कि जामुन के गुठली का पाउडर भी बेहद फायदेमंद होता है। जामुन के बीज का विभिन्न वैकल्पिक उपचारों में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए , यूनानी और चीनी दवाओं में पाचन संबंधी रोगों के लिए जामुन के गुठली का उपयोग किया जाता है। यह विटामिन ए और सी का बेहतर स्रोत है।
-जामुन की गुठली से पाउडर बनाना
जामुन को धूप में सूखाकर पाउडर बनाने के लिए जामुन खाने के बाद गुठली को अच्छी तरह धो लें। फिर इसे धूप में अच्छी तरह से सुखाकर इसका छिलका उतार लें। अंदर का हिस्सा आपको पिस्ता की तरह नजर आने लगेगा।
अब इस छिलके के साथ पतला पाउडर लें। लेकिन ध्यान रहें कि सूखने के बाद गुठली सख्त हो जाती है इसलिए गुठली को पीसने से पहले इसके छोटे-छोटे टुकड़े अवश्य कर लें। इसे रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट गुनगुना पानी के साथ सेवन करें। कुछ ही दिनों में आपकी डायबिटीज नियंत्रित हो जाएगी।
-अन्य रोगों में भी लाभकारी
जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में दिन में दो-तीन बार लेने पर पेचिश में आराम मिलता है। रक्तप्रदर की समस्या होने पर जामुन की गुठली के चूर्ण में पच्चीस प्रतिशत पीपल की छाल का चूर्ण मिलाकर, दिन में दो से तीन बार एक चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से लेने से लाभ मिलता है। दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने के लिए जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है। इसकी गुठली को पीसकर, इससे मंजन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। यदि आपका बच्चा बिस्तर गीला करता है तो जामुन की गुठली को पीसकर आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार पानी के साथ पिलाने से लाभ मिलता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button