सिपेट आकर मानवभारती के बच्चों ने जानीं, प्लास्टिक इंजीनियरिंग में करिअर की संभावनाएं
डोईवाला स्थित सिपेट में अधिकारियों से 40 छात्र-छात्राओं के दल ने किया संवाद
Students of Manav Bharti came to CIPET and learnt about career prospects in plastic engineering
डोईवाला। न्यूज लाइव ब्यूरो
नेचर कनेक्ट प्रोग्राम के अंतर्गत मानवभारती स्कूल (Manava Bharati School Dehradun) के कक्षा 11वीं के छात्र-छात्राओं ने डोईवाला स्थित सिपेट- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी का भ्रमण किया। छात्रों को बताया गया कि प्लास्टिक उत्पाद कैसे बनाए जाते हैं। इस फील्ड में करिअर की क्या संभावनाएं हैं। किसी भी कार्यक्षेत्र में कौशल विकास कितना जरूरी है। सिपेट के अधिकारियों ने छात्र-छात्राओं को संस्थान का भ्रमण कराया और उनकी जिज्ञासाओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।
शनिवार को मानवभारती स्कूल के 40 छात्र-छात्राएं सिपेटः सीएसटीएस(कौशल एवं तकनीकी सहायता केंद्र) डोईवाला पहुंचे। अधिकारियों ने इंस्टीट्यूट के भ्रमण से पहले छात्र-छात्राओं को संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों तथा कार्यों के बारे में प्रेजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी।
संस्थान के टेक्निकल असिस्टेंट बलवीर शर्मा ने बताया कि पेट्रोकैमिकल इंजीनियरिंग एवं टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में देशभर में सिपेट विभिन्न पाठ्यक्रमों का संचालन कर रहा है, जिनमें कौशल विकास के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ, डिप्लोमा, शॉर्ट टर्म कोर्स, यूजी एवं पीजी पाठ्यक्रम तथा पीएचडी शामिल हैं। वर्तमान में देहरादून सिपेट में डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी (DIPLOMA IN PLASTICS TECHNOLOGY) तथा डिप्लोमा इन प्लास्टिक मॉल्ड टेक्नोलॉजी (DIPLOMA IN PLASTICS MOULD TECHNOLOGY) शामिल हैं। इनके साथ ही कौशल विकास के विभिन्न कोर्स संचालित होते हैं।
साथ ही, उन्होंने संभावना व्यक्त की, अगले वर्ष तक भवन निर्माण पूरा होने और एप्रूवल मिलने पर देहरादून में यूजी, पीजी कार्यक्रम शुरू हो सकते हैं। उन्होंने कहा, अधिक जानकारी के लिए इच्छुक व्यक्ति सिपेट डोईवाला में संपर्क कर सकते हैं।
उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में भी जानकारी दी। साथ ही कहा, यदि आप जागरूक हैं तो प्लास्टिक न तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है और न ही हमारे शरीर को। हमें विभिन्न तरह के प्लास्टिक एवं इनके उपयोगों के बारे में जानना चाहिए। सिपेट की स्थापना का उद्देश्य प्लास्टिक, पेट्रोकैमिकल्स की इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूकता का प्रसार करना, इन पर शोध करना तथा कौशल विकास करना है। कौशल विकास कार्यक्रमों से स्वरोजगार तथा विभिन्न संस्थानों में प्लेसमेंट की राह आसान हो रही है।
अधिकारियों ने छात्र-छात्राओं को संस्थान के विभिन्न विभागों का भ्रमण कराकर प्लास्टिक उत्पाद बनाने की विभिन्न तकनीकियों, कच्चे माल, मशीनरी, क्वालिटी चेक सहित विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने छात्र-छात्राओं के विभिन्न प्रश्नों के सरल शब्दों में जवाब दिए।
मानव भारती स्कूल के निदेशक डॉ. हिमांशु शेखर ने सिपेट संस्थान के अधिकारियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि छात्र-छात्राओं के अनुसार, इस भ्रमण से उनको पेट्रोकैमिकल्स इंजीनियरिंग एवं प्लास्टिक में स्वरोजगार की संभावनाओं से जुड़े कई सवालों के जवाब मिले हैं। संस्थान के संयुक्त निदेशक एवं हेड अभिषेक राजवंश तथा सहायक तकनीकी अधिकारी पंकज फुलारा के निर्देशन फैकल्टी आशीष चौबे, अंजना, राहुल तड़ियाल, जगदंबा प्रसाद ने छात्र-छात्राओं को सहयोग प्रदान किया। छात्राओं के दल के साथ शिक्षिका कल्पना, शिक्षक पवन कुमार, अरविंद नेगी, विपिन आदि शामिल थे।