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बच्चों को जरूर सुनाइए ये कहानियां

जंगल का राजा बंदर

जंगल में जीवों की सभा बुलाई जा रही है। बंदरों को पूरे जंगल को सूचना देने का जिम्मा दिया गया है। बंदरों को इसलिए, क्योंकि वो फुर्ती से काम करते हैं। सभा बुलाने का उद्देश्य जंगल में चुनाव की घोषणा करना है, क्योंकि जंगली नहीं चाहते कि शेर उनका राजा बना रहे। वो शेर के शासन से उब गए हैं। वो चाहते हैं कि जंगल में लोकतंत्र को पूरी तरह लागू किया जाए। शेर परिवार का राज हमेशा के लिए खत्म किया जाए। जानवर जिसको चाहें, अपना राजा बनाएं।  आगे पढ़िए…

कछुए ने नहीं मानी हंसों की बात

एक छोटे से गांव के बाहरी इलाके में एक झील थी। झील में दो हंस और एक कछुआ रहते थे। तीनों में अच्छी दोस्ती थी। वो एक साथ खेलते और भोजन करते थे। एक दूसरे को देश दुनिया की कहानियां सुनाते। एक साल  बारिश नहीं होने की वजह से झील में पानी का संकट हो गया। एक समय ऐसा भी आया, जब झील सूख गई।  आगे पढ़िए…

जादू का बर्तन

बहुत समय पहले किसी गांव में लगने वाले बाजार में एक बूढ़ी महिला चिकन सूप बेचती थीं। उनका बनाया चिकन सूप काफी प्रसिद्ध था। आसपास के गांवों से भी लोग सूप पीने उनकी दुकान पर आते थे। बूढ़ी महिला का नाम कोई नहीं जानता था। कोई नहीं जानता था कि उनका घर कहां पर है। न ही किसी ने यह पूछा कि उनका बनाया सूप इतना लजीज कैसे है। लोग तो केवल सूप खरीदते और पीकर वापस लौट जाते थे। आगे पढ़िए…

होशियार किसान ने लुटेरे को सिखाया सबक

बहुत पहले की बात है कि एक किसान दूसरे गांव में लगे पशु मेले से लौट रहा था। उनके पास एक भैंस थी और कुछ पैसे थे। उन्होंने मेले में अनाज बेचा था और उसके बदले एक भैंस खरीदकर ला रहे थे। लौटते समय अंधेरा हो गया था और किसान अकेले ही अपने गांव की ओर आ रहा था। आगे पढ़िए…

कैंडिल वाली परी से पिता का वादा

एक व्यक्ति था, जो अपनी बेटी को बहुत स्नेह करता था। उसकी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई। बेटी को अच्छे से अच्छे डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उसके स्वास्थ्य में कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह बहुत दुखी था। उसने बेटी के इलाज के लिए वह सभी प्रयास किए, जो बेहतर से बेहतर हो सकते थे। लेकिन बेटी को बचा नहीं सका।  आगे पढ़िए…

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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