मां तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे…
मातृ दिवस आज
मुनव्वर राणा
चलती फिरती आंखों से अजान देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है, मां देखी है।
ये ऐसा क़र्ज है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर न लौटूं, मेरी मां स़जदे में रहती है।
अभी जिन्दा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं जब घर से निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।
जब तक रहा हूं धूप में चादर बना रहा,
मैं अपनी मां का आखिरी ज़ेवर बना रहा।
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,
बस एक मां है जो मुझसे ख़फा नहीं होती।
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे,
मां तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे।
मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं।
मां के बारे में वो सब, जो आप नहीं जानते होंगे
एक आम इंसान का शरीर 45 डेल तक का दर्द बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन बच्चे के जन्म के वक्त मां को 57 डेल तक का दर्द होता है। (डेल दर्द को मापने की इकाई है)
बच्चा पैदा होने पर 20 हड्डियों के साथ टूटने के बराबर होता है