
मोटापे के मरीजों को राहत दे रहा हर शनिवार चलने वाला एम्स का यह क्लीनिक
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने किया क्लीनिक का औपचारिक शुभारंभ
एम्स, ऋषिकेश में संचालित मोटापा एवं मेटाबोलिक स्वास्थ्य क्लीनिक (Obesity and Metabolic Health Clinic) औपचारिक रूप से शुरू हो गया। यह क्लीनिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ओपीडी क्षेत्र में लेवल 3, ब्लॉक- सी में प्रत्येक शनिवार सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक संचालित होता है।
यह क्लीनिक मोटापे और चयापचय संबंधी विकारों (Obesity and metabolic disorders) से ग्रसित मरीजों के व्यापक मूल्यांकन, रोकथाम और उपचार में मददगार साबित हो रहा है।
क्लीनिक का मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, संकायाध्यक्ष (अकादमिक) प्रो. जया चतुर्वेदी व एम्स अस्पताल की चिकित्साधीक्षक प्रो. बी. सत्य श्री ने संयुक्तरूप से औपचारिक उद्घाटन किया।
हर शनिवार को नौ से 12 तक चलेगा क्लीनिक
मल्टीडिसिप्लिनरी मेटाबोलिक हेल्थ एंड ओबेसिटी क्लीनिक एंडोक्रिनोलॉजी, मेडिकल और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, मेडिसिन, साइकियाट्री और पल्मोनरी मेडिसिन विभागों का एक संयुक्त प्रयास है। यह क्लीनिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ओपीडी क्षेत्र में लेवल 3, ब्लॉक- सी में प्रत्येक शनिवार सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक संचालित होता है।
मोटापे से ग्रसित 345 मरीज को मिली राहत
चिकित्सकों के मुताबिक, पिछले साल विभिन्न विभागों से जुड़ो इस क्लीनिक में 345 रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है।
इसके अलावा, क्लीनिक कई व्यक्तियों को वजन कम करने में मददगार साबित हुआ है।
साथ ही, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, फैटी लीवर रोग और स्लीप एपनिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से लंबे अरसे से ग्रसित मरीजों की समस्याओं का समाधान करके उनके जीवन को भी बदल दिया है।
बताया गया कि इनमें आधे से अधिक 51.88 फीसदी मरीज उत्तराखंड से रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे दूरदराज के राज्यों से भी मरीज विशेष देखभाल व समस्या के समाधान के लिए आ रहे हैं।
मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रमुख प्रो. रोहित गुप्ता ने बताया कि क्लीनिक में आहार-आधारित उपचारों का पालन करने वाले मरीजों ने कुछ महीनों में औसतन 4.7 किलोग्राम वजन कम किया। जबकि दवाओं से रोगियों को 5.4 किलोग्राम तक वजन कम करने में मदद मिली।
सर्जिकल गैस्ट्रो विभाग के चिकित्सक डॉ. लोकेश अरोड़ा के मुताबिक क्लीनिक के माध्यम से एक व्यक्ति की सफलतापूर्वक बेरियाट्रिक सर्जरी की गई, जिसमें रोगी ने पांच महीने में 24 किलोग्राम वजन कम किया है। जिससे उक्त व्यक्ति को मोटापे के कारण रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली तमाम तरह की दिक्कतों से निजात मिली है।
मोटापे के कारण व निवारण पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नींद पर मोटापे के प्रभावों के बारे में मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रवि गुप्ता ने बताया कि मोटापा स्लीप एपनिया, अनिद्रा और बाधित नींद चक्रों से बहुत करीब से जुड़ा हुआ है, जिसे अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए, तो यह मानसिक स्वास्थ्य विकारों, थकान और कम उत्पादकता का कारण बन सकता है। लिहाजा मोटापे और चयापचय संबंधी विकारों के लिए सिर्फ वजन प्रबंधन से परे एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर रविकांत ने इस बात पर जोर दिया कि मोटापे के इलाज में सिर्फ वजन कम करना ही शामिल नहीं है, बल्कि एक एकीकृत दृष्टिकोण भी शामिल है। जिसमें, चिकित्सा उपचार, मानसिक स्वास्थ्य सहायता, जीवनशैली में बदलाव और सर्जिकल हस्तक्षेप शामिल हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुधार सुनिश्चित होता है।
एंडोक्राइनोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कल्याणी श्रीधरन ने मोटापे और मधुमेह के बीच मजबूत संबंध को रेखांकित करते हुए कहा कि चयापचय नियंत्रण हृदय संबंधी जोखिमों को कम करने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पल्मोनरी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. लोकेश सैनी के अनुसार अधिक वजन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) में योगदान देता है, जिससे नींद में खलल, क्रोनिक थकान और हृदय संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वजन कम करना और जीवनशैली में सुधार सांस लेने की समस्याओं को कम करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने की कुंजी है।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर डॉ. लोकेश अरोड़ा ने मोटापे के प्रबंधन में बेरियाट्रिक सर्जरी की परिवर्तनकारी भूमिका पर जोर दिया। रोबोट की सहायता से बेरियाट्रिक सर्जरी ने मोटापे के उपचार में क्रांति ला दी है, जिससे प्रक्रियाएं अधिक सटीक, न्यूनतम आक्रामक और रोगियों के लिए सुरक्षित हो गई हैं। बेरियाट्रिक सर्जरी न केवल वजन घटाने में मदद करती है बल्कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और फैटी लीवर रोग जैसी स्थितियों में भी काफी सुधार करती है।