
AIIMS Rishikesh said, these could be symptoms of lung cancer, but there is nothing to worry about
ऋषिकेश। 05 मार्च, 2025
धूम्रपान करने से लम्बे समय से खांसी की शिकायत के साथ थकान महसूस हो रही है तो इन संकेतों के प्रति अलर्ट हो जाएं। ये लंग कैंसर (lung cancer के लक्षण हो सकते हैं, लेकिन घबराने की बात नहीं।
ऐसे लक्षण वाले रोगियों के लिए एम्स ऋषिकेश में स्पेशल लंग क्लीनिक (Special Lung Clinic in AIIMS Rishikesh) संचालित हो रहा है। यह क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार पल्मोनरी विभाग की ओपीडी (OPD of Pulmonary Department) में संचालित होता है।
फेफड़ों में कैंसर की स्थिति में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है। कई बार फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता चला जाता है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों के अनुसार, कैंसर से होने वाली मृत्यु दर में सर्वाधिक मामले लंग कैंसर के होते हैं।
एम्स में पल्मोनरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. मयंक मिश्रा (Prof. Dr. Mayank Mishra) ने बताया कि धूम्रपान करना फेफड़ों के कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के तम्बाकू उत्पाद जैसे खैनी, गुटखा, सिगार आदि का सेवन और आनुवांशिक तौर से पारिवारिक इतिहास होने के कारण भी फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
यह भी जानिए
डॉ. मिश्रा के अनुसार,
- उत्तराखंड में बड़ी संख्या में लोग धूम्रपान करते हैं। इस वजह से राज्य में फेफड़ों के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
- एम्स में प्रति माह लगभग 20-25 मामले लंग्स कैंसर के आ रहे हैं।
- एम्स के पल्मोनरी विभाग में अलग से लंग क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इस क्लीनिक में केवल लंग्स कैन्सर के रोगी ही देखे जाते हैं।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण (Symptoms of Lung Cancer)
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- लंबे समय से खांसी-बलगम की शिकायत
- खांसी में खून आना
- सांस फूलना
- सीने मे दर्द
- वजन का कम होना
- चेहरे या गले में सूजन
- आवाज बदल जाना
- भूख कम लगना
- लगातार थकान महसूस करना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
टी.बी. और फेफड़े के कैंसर में अंतर (Difference between TB and lung cancer)
ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) और फेफड़ों के कैंसर के कई लक्षण मिलते-जुलते हैं। यही सबसे बड़ी वजह है कि लोग इन दोनों बीमारियों के बीच में अंतर नहीं कर पाते और उनके लिए बीमारी का पता करना मुश्किल हो जाता है।
डाॅ. मयंक ने बताया, इसी के चलते कईं बार लोग टीबी को फेफड़े का और फेफड़े के कैंसर को टी.बी. मान लेते हैं।
उन्होंने बताया कि दोनों बीमारियों में लंबे समय से चली आ रही खांसी, खांसी के साथ खून का निकलना, आवाज का भारी हो जाना आदि लक्षण समान तरह के हैं, लेकिन दोनों की स्पष्ट पहचान आवश्यक जांचों के बाद ही हो पाती है।
शुक्रवार को संचालित होता है लंग क्लीनिक
डॉ. मयंक मिश्रा ने बताया कि लंग क्लीनिक प्रत्येक शुक्रवार को संचालित होता है।
इस क्लीनिक में केवल वही मरीज देखे जाते हैं जिन्हें पल्मोनरी विभाग की जनरल ओपीडी (General OPD of Pulmonary Department) से रेफर किया गया हो। इसलिए जरूरी है कि मरीज पहले पल्मोनरी की ओपीडी में अपनी जांच करा लें।
लंग क्लीनिक में पल्मोनरी विभाग के चिकित्सकों के अलावा, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी रोगी की जांच के लिए उपलब्ध रहते हैं।
लंग केंसर के रोगियों के लिए ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से बीमारी की अवस्था, निदान और इलाज की सुविधा भी उपलब्ध है।
’’ फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन तकनीक आधारित मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब कैंसर से छुटकारा संभव है। लक्षणों के आधार पर समय पर इलाज शुरू कर दिए जाने से कैंसर की गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है। एम्स ऋषिकेश में लंग कैंसर के लिए स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। इसके समुचित इलाज के लिए एम्स के पल्मोनरी विभाग में सभी तरह की आधुनिक मेडिकल सुविधाएं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम उपलब्ध हैं। ’’
प्रो. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक एम्स ऋषिकेश