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चारधाम यात्राः स्थानीय लोगों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था खत्म करें, सीएम के निर्देश

श्रद्धालुओं से जो भी आवश्यक जानकारी लेनी है, केवल एक बार एन्ट्री प्वाइंट पर ली जाएः सीएम

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में चारधाम यात्रा की तैयारियों के संबंध में समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि आगामी यात्रा के लिए स्थानीय लोगों के पंजीकरण की अनिवार्यता को खत्म किया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को यात्रा में दर्शन कराए जाएंगे। निर्देश दिए कि जिन श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा के लिए होटलों एवं होम स्टे में बुकिंग करा ली है, उनकी दर्शन के लिए भी व्यवस्था की जाए।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालु चारधाम यात्रा के साथ ही अन्य प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर भी जाएं, इसके लिए पर्यटन, पुलिस एवं परिवहन विभाग विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाएं।

उन्होंने कहा कि #VocalForLocal को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय उत्पादों को व्यापक स्तर पर प्रमोट किया जाए। जीएमवीएन में भी स्थानीय उत्पादों को रखा जाए। उन्होंने यात्रा मार्गों के पार्किंग स्थलों पर वाहन चालकों के रहने एवं सोने की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी यात्रा के लिए पुलिस भीड़ प्रबंधन के लिए समुचित व्यवस्था करे और यात्रा मित्र के तौर पर कुछ स्थानीय लोगों को रखा जाए।

यात्रा पर आने वाले वाहनों की फिटनेस का भी विशेष ध्यान रखा जाए और इसके लिए अन्य राज्यों से भी समन्वय किया जाए।

उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं से जो भी आवश्यक जानकारी लेनी है, केवल एक बार राज्य के एन्ट्री प्वाइंट पर ली जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, अरविंद सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, एच.सी. सेमवाल, गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार समेत कई अधिकारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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