
Paithani Rahu Temple tourism: पैठाणी के राहु मंदिर को पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा: डॉ. रावत
पौड़ी सांसद अनिल बलूनी के साथ किए राहु मंदिर के दर्शन
Paithani Rahu Temple tourism
पौड़ी/देहरादून, 06 जून 2025
Paithani Rahu Temple tourism: उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने शुक्रवार को थलीसैंण विकासखंड के पैठाणी गाँव स्थित विश्व प्रसिद्ध राहु मंदिर के दर्शन किए। यह मंदिर राहु देवता को समर्पित विश्व का एकमात्र मंदिर माना जाता है, जो धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।
मंदिर को पर्यटन से जोड़ने की पहल
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि पैठाणी का राहु मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यटन विकास की दृष्टि से भी अत्यंत संभावना वाला है। उन्होंने घोषणा की कि मंदिर को उत्तराखंड के पर्यटन सर्किट से जोड़ा जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को यहाँ आने में सुविधा होगी और क्षेत्र का भी पर्यटन विकास हो सकेगा। डॉ. रावत ने जिलाधिकारी को इस संबंध में शीघ्र प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए, ताकि मंदिर क्षेत्र में आवश्यक आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जा सके।
आस्था का केंद्र और विकास की उम्मीद
गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि राहु मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहाँ देशभर से हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन के लिए आते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि मंदिर तक पहुँचने वाले मार्गों, विश्राम स्थलों एवं अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाने हेतु हरसंभव प्रयास किए जाएँगे। सांसद बलूनी ने यह भी कहा कि वह स्वयं भी संसदीय एवं व्यक्तिगत स्तर पर इस पवित्र स्थल के विकास में योगदान देंगे।
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दोनों जनप्रतिनिधियों की इस पहल से स्थानीय लोगों में धार्मिक एवं पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि राहु मंदिर को विश्व पटल पर पहचान मिलने से क्षेत्र में पर्यटन को पंख लगेंगे, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा और स्थानीय उत्पादों को भी खरीदार मिल सकेंगे। लोगों ने उम्मीद जताई कि राहु मंदिर जल्द ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा।
राहु मंदिर की धार्मिक मान्यता
मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसका निर्माण पांडवों ने तब किया था जब वे स्वर्गारोहिणी यात्रा पर थे और राहु दोष से बचने के लिए उन्होंने भगवान शिव और राहु की पूजा की थी।
इस मंदिर में राहु के साथ शिवजी की पूजा भी की जाती है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर राहु के कटे सिर के साथ-साथ भगवान विष्णु के सुदर्शन की कारीगरी भी की गई है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु द्वारा राहु का सिर काटे जाने के बाद यहाँ पत्थरों के नीचे राहु का सिर दबा है। लोगों का मानना है कि यहाँ पूजा करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है।