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तो दुनियाभर में यह छोटा सा जीव है शेरों और सांपों से भी खतरनाक

मच्छर मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलाकर प्रति वर्ष 725,000 मनुष्यों की जान लेता है

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कौन से जानवर हर साल सबसे ज्यादा इंसानों को मारते हैं? यहां Discover wildlife में इसी साल प्रकाशित एक रिपोर्ट में दुनिया के टॉप 10 खतरनाक जानवरों की सूची दी गई है। जो इस प्रकार है- 

10. दसवें नंबर पर है दरियाई घोड़ा (Hippos), यह एक साल में 500 लोगों की मौत का कारण बनता है। पर, यह तो शाकाहारी है, यह क्यों लोगों को मारता है। पर, एक बात साफ है कि यह अपने अत्यधिक मजबूत चॉपर्स और आक्रामक स्वभाव के कारण सबसे खतरनाक जानवरों में से एक है। औसतन 1,500 किलोग्राम वजनी (नर), बड़े नुकीले दांतों वाला, यह निश्चित रूप से एक ऐसा जानवर है जिसका आप सामना नहीं करना चाहेंगे।

दरियाई घोड़े लड़ने के लिए अपने लंबे (आधा मीटर तक) नुकीले दांतों का इस्तेमाल करते हैं और इस जीव के केवल एक बार काटने से मानव शरीर आधा कट सकता है। एक दरियाई घोड़े के काटने की शक्ति 1,800 पीएसआई (PSI- Pound per square inch) यानी काटने का बल पीसीआई में मापा जाता है, जिसे पाउंड प्रति वर्ग इंच कहते हैं। यह प्रति वर्ग इंच पाउंड बल है, क्योंकि यह एक वर्ग इंच (6.5 वर्ग सेंटीमीटर) के क्षेत्र पर लागू एक पाउंड बल का दबाव है। शेर की तुलना में दरियाई घोड़े का पीसीआई लगभग तीन गुना अधिक होता है।

दरियाई घोड़े किसी इंसान पर तब हमला कर सकते हैं जब कोई उसके निवास स्थान के पास पहुंचता है और वो उनको शिकारी समझकर बचाव में नावों पर हमला करने और पलटने के लिए जाने जाते हैं। यहां तक ​​कि दरियाई घोड़े को हताशा में अपनी ही तरह का भोजन खाने के लिए भी जाना जाता है।

9. शक्तिशाली हाथी हर साल लगभग 500 लोगों को मारते हैं। अपने विशाल आकार के कारण दुनिया के सबसे खतरनाक जानवरों में से एक है और विभिन्न तरीकों से मनुष्यों पर हमला कर सकता है। हाथी आमतौर पर इंसानों को कुचलकर मार देते हैं। चूंकि अफ़्रीकी हाथी का वजन आठ टन (एशियाई हाथी साढ़े पांच टन तक) तक हो सकता है। हाथी अपनी सूंड का उपयोग इंसानों को उठाकर पटकने के लिए भी करता है। यह भी जाना जाता है कि हाथी अपने दाँतों से लोगों को घायल कर देते हैं।

8.मगरमच्छ दिखने में ही डरावना लगता है और सबसे क्रूर जानवरों में एक है। मगरमच्छ प्रति वर्ष एक हजार मनुष्यों को मार डालते हैं। इनके दांतों को देखने मात्र से आपको पता चल जाएगा कि ये सरीसृप इतने खतरनाक क्यों हैं।

यह ज्ञात सबसे बड़ा जीवित सरीसृप और मगरमच्छ होने के साथ-साथ भयंकर, तेज़ और डराने वाला भी है। नर 6 मीटर की लंबाई तक बढ़ सकते हैं और 1,300 किलोग्राम वजन कर सकते हैं। पानी के माध्यम से शिकार का पीछा करते समय 18 मील प्रति घंटे की गति तक भी पहुँच सकते हैं। इन सबका कुल मिलाकर मतलब यह है कि यदि खारे पानी के मगरमच्छ ने किसी को शिकार के रूप में चुना है, तो उसके जीवित रहने की संभावना नहीं है।

नील मगरमच्छ की काटने की शक्ति 5,000 पीएसआई तक होती है, जो दुनिया के किसी भी जानवर की तुलना में सबसे मजबूत है, जबकि खारे पानी के मगरमच्छ की काटने की शक्ति इसकी तुलना में केवल 3,700 पीएसआई है।

खारे पानी के मगरमच्छ अपने शिकार को चबा-चबाकर खा जाते हैं। नील मगरमच्छ अपने शिकार को अक्सर उसे पूरा निगल लेते हैं।मगरमच्छ आक्रामक और अत्यधिक क्षेत्रीय होते हैं और उनके निवास स्थान में प्रवेश करने वाली किसी भी चीज़ पर हमला कर देते हैं, अक्सर पानी में शिकार पर घात लगाकर हमला करते हैं।

7. एस्केरिस राउंडवॉर्म (एस्केरिस जीनस) घातक परजीवी है यानी एक ऐसा जीव जो किसी अन्य (किसी मेज़बान) पर या उसमें रहता है और उसे नुकसान पहुँचाता है। यहाँ राउंडवर्म मच्छरों की तरह केवल रोगवाहक न होकर परजीवी है। एस्केरिस  राउंडवॉर्म तब बढ़ते हैं जब कोई व्यक्ति गलती से उनके अंडे खा लेता है, जो दुर्भाग्य से आमतौर पर तब होता है जब भोजन या पेय मानव मल से दूषित होता है। कीड़े छोटी आंत में निवास करते हैं और जीवित रहने, भोजन करने और प्रजनन करने के लिए मानव शरीर का उपयोग करते हैं। परिणामी बीमारी को एस्कारियासिस कहा जाता है, जिसमें बुखार, पेट में दर्द और सूजन और सांस लेने में तकलीफ होती है और हर साल लगभग 2,500 लोगों की मौत हो जाती है।

6. बिच्छू, जो कि प्राचीन और आक्रामक खौफनाक रेंगने वाले जीव हैं, ये अपनी पूंछ से डंक मारकर अपने शिकार के शरीर में जहर डाल देते हैं। अरचिन्ड (arachnid) की 2,600 से अधिक प्रजातियों में से केवल 25 में ही मनुष्यों को मारने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली विष होता है। सबसे खतरनाक में से एक है डेथस्टॉकर (deathstalker), जैसा कि नाम से पता चलता है। ये उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के शुष्क और शुष्क परिदृश्यों और रेगिस्तानों में पाए जा सकते हैं। उनके साथ खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए।

बिच्छू का डंक अक्सर तब होता है, जब व्यक्ति का पैर बिच्छू पर पड़ जाता है, या जब वो लोगों के जूतों में छिपे होते हैं। वो इसे हमले के बजाय कुचले जाने के खिलाफ एक रक्षा तंत्र के रूप में उपयोग करते हैं। प्रति वर्ष लगभग 2,600 मौतें, बिच्छू के डंक से होती हैं। दुनिया में सबसे घातक इंडियन रेडस्कॉर्पियन ( हॉटटेनटोटा टैमुलस ) –  Indian redscorpion (Hottentotta tamulus) माना जाता है।

5. Assassin Bugs चगास रोग (Chagas disease) फैलाने का कारण है। यह प्रति वर्ष दस हजार इंसानों की मौत का कारण है। इस रोग को अमेरिकन ट्रिपैनोसोमियासिस (American trypanosomiasis) के नाम से जाना जाता है। यह एक परजीवी संक्रमण है जो प्रोटोजोआ परजीवी ट्रिपैनोसोमा क्रूज़ी के कारण होता है। इसको फैलाने का कारण Assassin Bugs है, जो मुख्य रूप से अमेरिका में पाया जाता है, विशेष रूप से लैटिन अमेरिका में, जहां यह स्थानिक है। चगास रोग मनुष्यों में संक्रमित ट्रायटोमाइन बग (triatomine bugs) के काटने से फैलता है, जिन्हें अक्सर “चुंबन कीड़े” के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे होठों और चेहरे के आसपास काटते हैं।

इन कीड़ों को रोग के वाहक के रूप में भी जाना जाता है। ये कीड़े घातक चगास रोग के प्राथमिक प्रसारक हैं। इसी वजह से ये खून चूसने वाले शिकारी कीड़े मध्य और दक्षिण अमेरिका में एक वास्तविक खतरा हैं। चगास रोग संभावित रूप से घातक है और यह कीड़े के काटने से या ठंडे भोजन या पेय के सेवन से फैलता है जो कि कीट और/या उसके मल से संक्रमित होता है, जो प्रोटोजोआ ट्रिपैनोसोमा क्रूज़ी (टी.क्रूज़ी) को वहन करता है ।

पैन अमेरिकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (पीएएचओ) के अनुसार यह भयानक बीमारी जो हृदय, पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है । इससे भी बुरी बात यह है कि यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान नाल के माध्यम से मां से बच्चे में फैल सकती है।

4.  सांप घातक प्राणियों की सूची में ऊपर हैं, क्योंकि सांप के काटने से सालाना 138,000 से अधिक मौतें होती हैं। जहरीला सॉ-स्केल्ड वाइपर Saw-scaled viper (Echis carinatusदुनिया के सबसे घातक सांप का रिकॉर्ड रखता है।  खतरनाक सांप दुनिया भर में पाए जा सकते हैं। ब्लैक माम्बा एक इंसान को डसकर जहर की केवल दो बूंदों से मार सकता है, जबकि अजगर एक पूर्ण विकसित वयस्क को निगल सकता है। अजगर अपने लंबे शरीर को चारों ओर लपेटकर और अपने शिकार को सिकोड़कर हमला करते हैं, उनका दम घोंट देते हैं और उनकी हड्डियाँ तोड़ देते हैं। फिर वे अपने शिकार को पूरा निगलने के लिए अपने लचीले जबड़ों का उपयोग करते हैं। हां, वे इतने बड़े हो जाते हैं कि एक पूरे व्यक्ति को निगल सकते हैं, अजगर 10 मीटर तक लंबे होते हैं।

3.  मीठे पानी के घोंघे (गैस्ट्रोपोडा वर्ग)- Freshwater snails (Gastropoda class) आपको आश्चर्य में डाल सकता है। यह प्रति वर्ष 200,000 से अधिक मौतों का कारण हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ये घातक परजीवियों के मेजबान हैं, विशेष रूप से परजीवी फ़्लैटवर्म जिन्हें फ्लूक के नाम से जाना जाता है।फ़्लूक्स की लगभग 24,000 प्रजातियाँ हैं, और उनमें से अधिकांश कशेरुक (हमारे जैसे) और मोलस्क (घोंघे की तरह) के परजीवी हैं। मीठे पानी के घोंघों से फैलने वाला एक विशेष रूप से खतरनाक रोग शिस्टोसोमा कहलाता है । फ़्लूक्स घोंघे के भीतर रहते हैं और विकसित होते हैं और फिर पानी में छोड़ दिए जाते हैं। प्रदूषित ताजे पानी से मनुष्य संक्रमित हो जाते हैं क्योंकि फ्लूक्स त्वचा में प्रवेश कर जाते हैं। यह शिस्टोसोमियासिस (schistosomiasis) नामक घातक मानव रोग के लिए जिम्मेदार है, जिसे ‘स्नेल फीवर’ – ‘snail fever’ भी कहा जाता है। 2000 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, मलेरिया के बाद इसे दूसरा सबसे “सामाजिक-आर्थिक रूप से विनाशकारी” परजीवी रोग माना जाता है, और यह प्रति वर्ष 200,000 से अधिक मौतों का कारण बनता है।

2. मनुष्य प्रति वर्ष 400,000 लोगों को मार देता है। जब मानव मौतों की बात आती है तो मनुष्य, तकनीकी रूप से पृथ्वी पर दूसरा सबसे खतरनाक जानवर है। वैसे भी, यह तभी होता है जब आप हत्याओं की गिनती करते हैं। ourworldindata के अनुसार , “वैश्विक स्तर पर, 2019 में 0.7 प्रतिशत मौतें मानव हत्या का परिणाम थीं।” लैटिन अमेरिका में, दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में हत्या की दर अधिक है, “अल साल्वाडोर में 7 प्रतिशत से अधिक मौतों के लिए हत्याएं जिम्मेदार हैं।”

1. मच्छर दुनिया का सबसे घातक जीव है, जो मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैलाकर प्रति वर्ष 725,000 मनुष्यों की जान ले लेता है। इसका मतलब यह नहीं है कि ये छोटे कीड़े मारने के लिए निकलते हैं। सीधे तौर पर मारने के बजाय, मच्छर अक्सर ‘बीमारी फैलाने वाले’ होते हैं। इसका मतलब यह है कि अपने भोजन के दौरान, मानव और पशु रक्त पर, वे संयोगवश संक्रामक रोगजनकों, बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं।

केवल मादा मच्छर ही काटती हैं। अफ्रीका में मलेरिया संक्रमण की स्थिति विशेष रूप से खराब है। वहीं मच्छरों के काटने से होने वाला डेंगी रोग भी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जितना संभव हो सके, मच्छरों से बचना सबसे अच्छा है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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