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NEP2020: उत्तराखंड में सभी स्कूलों में माह के अंतिम शनिवार को बैगलेस-डे: डॉ. धन सिंह रावत

शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने गतिविधि पुस्तिका का विमोचन किया

Bagless Day in Uttarakhand Schools

देहरादून, 24 अप्रैल 2025

उत्तराखंड के सभी राजकीय और निजी स्कूलों में चालू शैक्षणिक सत्र से बैगलेस-डे (Bagless Day in Uttarakhand Schools) लागू कर दिया गया है। प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को यह विशेष दिवस मनाया जाएगा, जिसमें छात्र बिना स्कूली बैग के स्कूल जाएंगे और पढ़ाई के बजाय सृजनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेंगे। इस पहल को लागू करने के लिए विद्यालयी शिक्षा विभाग ने एससीईआरटी द्वारा तैयार ‘गतिविधि पुस्तिका’ जारी की है, जिसका विमोचन शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एक कार्यशाला में किया।

बैगलेस-डे की मुख्य विशेषताएं

  • कब और कैसे?
    प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को स्कूलों में बैगलेस-डे (Bagless Day in Uttarakhand Schools) आयोजित होगा। इस दिन पढ़ाई नहीं होगी, बल्कि जैविक, मशीनी और मानवीय गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
  • गतिविधि पुस्तिका
    एससीईआरटी द्वारा तैयार इस पुस्तिका में बैगलेस-डे की गतिविधियों का विस्तृत विवरण है। यह पुस्तिका सीबीएसई, आईसीएसई, भारतीय शिक्षा बोर्ड, संस्कृत शिक्षा, मदरसा बोर्ड आदि को ई-फॉर्मेट में उपलब्ध कराई जाएगी।
  • नोडल अधिकारियों की नियुक्ति
    योजना की मॉनिटरिंग के लिए ब्लॉक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी, जनपद स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी और राज्य स्तर पर महानिदेशक शिक्षा को नोडल अधिकारी बनाया गया है। ये अधिकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण भी करेंगे।
  • अन्य गतिविधियां
    स्कूल बोर्ड अपनी इच्छानुसार अतिरिक्त सृजनात्मक गतिविधियां भी आयोजित कर सकते हैं।

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कार्यशाला में हुई चर्चा

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के सभागार में आयोजित कार्यशाला में डॉ. धन सिंह रावत ने नई शिक्षा नीति-2020 के तहत बैगलेस-डे को लागू करने की घोषणा की। कार्यशाला में सीबीएसई, आईसीएसई, निजी स्कूल संचालकों और विभागीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

  • बस्ते का बोझ कम करने पर सहमति
    जुलाई 2025 से स्कूलों में बस्ते का बोझ कम करने की योजना लागू होगी। सीबीएसई और आईसीएसई स्कूल संचालकों को इस पर विचार-विमर्श कर ठोस निर्णय लेने को कहा गया।

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NEP 2020 के प्रमुख सुझाव बस्ते के वजन को कम करने के लिए:

  1. डिजिटल शिक्षण सामग्री: ई-लर्निंग और डिजिटल किताबों का उपयोग बढ़ावा देना, ताकि भौतिक किताबों की संख्या कम हो।
  2. स्कूल में स्टोरेज: स्कूलों में लॉकर या स्टोरेज सुविधा प्रदान करना ताकि छात्रों को रोज़ाना भारी बस्ता लाने की जरूरत न पड़े।
  3. पाठ्यपुस्तकों का विभाजन: पाठ्यपुस्तकों को छोटे-छोटे खंडों (मॉड्यूल) में बांटना, जिससे एक समय में कम किताबें ले जानी पड़ें।
  4. होमवर्क में कमी: अनावश्यक लिखित कार्य कम करना, जिससे अतिरिक्त नोटबुक या सामग्री ले जाने की जरूरत न हो।
  5. बैगलेस-डे जैसी पहल: जैसा कि उत्तराखंड में लागू किया गया, समय-समय पर बिना बस्ते के स्कूल आने की व्यवस्था।

 प्रदर्शनी का अवलोकन

  • डॉ. रावत ने छात्रों द्वारा बनाए गए मॉडलों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और उनकी सराहना की।

स्वास्थ्य परीक्षण पर जोर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक स्वाती एस भदौरिया ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों में स्वास्थ्य परीक्षण की जानकारी दी।

  • बाल आरोग्य पोर्टल पर प्रत्येक छात्र का हेल्थ रिकॉर्ड दर्ज होगा।
  • 148 स्वास्थ्य टीमें स्कूलों में जाकर छात्रों का स्वास्थ्य परीक्षण करेंगी।
  • स्वास्थ्य टीम में चिकित्सक, फार्मासिस्ट, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल होंगे।

कार्यशाला में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

शिक्षा सचिव रविनाथ रमन, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा झरना कमठान, निदेशक मुकुल सती, अपर निदेशक गढ़वाल कंचन देवराड़ी, एपीडी समग्र शिक्षा कुलदीप गैरोला सहित विभिन्न बोर्डों के प्रतिनिधि और निजी स्कूलों के संचालक उपस्थित रहे।

उत्तराखंड में बैगलेस-डे की शुरुआत नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल पढ़ाई के बोझ को कम करेगी, बल्कि सृजनात्मक गतिविधियों के माध्यम से छात्रों की प्रतिभा को निखारेगी।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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