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उत्तराखंड में पहली 3D प्रिंटेड कस्टमाइज्ड हिप इम्प्लांट सर्जरी सफल: एम्स ऋषिकेश की उपलब्धि

3D Printed Hip Implant Surgery

प्रमुख बिंदु

एम्स ऋषिकेश ने उत्तराखंड में पहली बार 3D प्रिंटेड कस्टमाइज्ड हिप इम्प्लांट सर्जरी (3D Printed Hip Implant Surgery) की
60 वर्षीय मरीज को असहनीय दर्द से राहत, अब सामान्य रूप से चलने में सक्षम
प्रोफेसर रूप भूषण कालिया के नेतृत्व में 8 घंटे की जटिल सर्जरी सफल
3D प्रिंटिंग तकनीक ने जटिल हड्डी दोष को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

ऋषिकेश, 24 अप्रैल 2025
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ऋषिकेश) ने चिकित्सा क्षेत्र में इतिहास रचते हुए उत्तराखंड में पहली बार 3D प्रिंटेड कस्टमाइज्ड हिप इम्प्लांट के साथ रिवीजन टोटल हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस अत्याधुनिक तकनीक ने हरिद्वार के 60 वर्षीय मरीज को नया जीवन दिया, जो वर्षों से असहनीय दर्द और व्हीलचेयर पर निर्भरता से जूझ रहे थे।

मरीज की स्थिति और चुनौती

करीब 60 वर्षीय रोगी जो एंकायलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित हैं, ने 2003 में पीजीआई चंडीगढ़ में दोनों कुल्हों का प्रत्यारोपण करवाया था। करीब 20 साल बाद उनके इम्प्लांट्स खराब हो गए, जिसके कारण 2023 से असहनीय दर्द और गतिहीनता का सामना कर रहे थे। उनकी दिनचर्या पूरी तरह व्हीलचेयर पर निर्भर हो गई थी।

2024 में रोगी ने एम्स दिल्ली में उपचार शुरू किया, लेकिन संक्रमण के कारण सर्जरी अधूरी रह गई। वहां अस्थायी समाधान के रूप में सीमेंट स्पेसर और स्टेबलाइजिंग नेल का उपयोग किया गया। लंबी प्रतीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों से संपर्क किया।

3D प्रिंटेड इम्प्लांट: एक क्रांतिकारी समाधान
एम्स ऋषिकेश की टीम ने जांच के बाद पाया कि मरीज के कूल्हे की हड्डी में बड़ा बोनी डिफेक्ट था, जिसे सामान्य इम्प्लांट्स से ठीक करना असंभव था। इसके लिए विशेष रूप से 3D प्रिंटेड कस्टमाइज्ड इम्प्लांट डिज़ाइन किया गया।

फरवरी 2025 के अंतिम सप्ताह में  प्रोफेसर रूप भूषण कालिया के नेतृत्व में  ऑर्थोपेडिक्स विभाग की टीम ने 8 घंटे की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस दौरान पुराने सीमेंट स्पेसर और नेल को हटाकर 3D प्रिंटेड इम्प्लांट प्रत्यारोपित किया गया। डॉ. भावना गुप्ता के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम ने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया।

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सर्जरी का परिणाम
सर्जरी के सात सप्ताह बाद रोगी अब पूर्ण वजन सहन करने और सामान्य रूप से चलने में सक्षम हैं। उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “2023 से मैं असहनीय दर्द में था और व्हीलचेयर पर निर्भर था। एम्स ऋषिकेश में मुझे उत्कृष्ट उपचार और देखभाल मिली। चिकित्सकों की संवेदनशीलता और मेहनत से मुझे स्थायी राहत मिली। मैं पूरी टीम का आभारी हूँ कि मैं फिर से अपने पैरों पर खड़ा हूँ।”

3D प्रिंटिंग तकनीक की अहमियत 
यह सर्जरी 3D प्रिंटिंग तकनीक की प्रभावशीलता को दर्शाती है, जो जटिल चिकित्सा मामलों में क्रांतिकारी समाधान प्रदान कर सकती है। यह उत्तराखंड में अपनी तरह की पहली सर्जरी थी, जो चिकित्सा क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर करती है।

निष्कर्ष
एम्स ऋषिकेश की इस उपलब्धि ने न केवल एक मरीज को नया जीवन दिया, बल्कि चिकित्सा जगत में 3D प्रिंटेड इम्प्लांट्स की क्षमता को भी प्रदर्शित किया। यह तकनीक भविष्य में जटिल सर्जरी के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

 

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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