
गुणकारी शहद देने वालीं मधुमक्खियों को खाने के लिए छत्तों पर मंडराते हैं ये खतरनाक कीड़े
ये ततैया मधुमक्खियों की संख्या कर देते हैं, जिससे शहद उत्पादन एवं परागण पर खराब असर पड़ता है
राजेश पांडेय। देहरादून (newslive24x7.com)
गुंदियाल गांव, जौलीग्रांट एयरपोर्ट से देहरादून के रास्ते में थानों गांव के पास का खेतीबाड़ी से समृद्ध इलाका है, जिसके एक छोर पर घना जंगल है। यहां जाने का मौका मिला, तो एक नई जानकारी मिली, जो आपके साथ साझा कर रहा हूं। आपको इस स्टोरी में बताएंगे उन कीटों के बारे में, जो मधुमक्खियों को खाने के लिए उनके छत्तों पर मंडराते हैं। भंवरों की तरह दिखने वाले ये कीट बहुत खतरनाक होते हैं। ये भंवरे नहीं होते बल्कि ततैया होती हैं।
शहद, जितना मीठा और गुणकारी होता है, उसको हासिल करने के लिए कहीं ज्यादा कठिनाइयों का सामना उत्पादक करते हैं। मधुमक्खियां पेड़ों पर छत्ते लगाती हैं और उनसे शहद पाने के लिए उत्पादक विशेष प्रकार के बॉक्स भी रखते हैं।
मधुमक्खियों के बॉक्स जिन स्थानों पर रखे होते हैं, उनके आसपास उगने वाली वनस्पतियां शहद के फ्लेवर को प्रभावित करती हैं। बाजरा के खेतों के पास रखे गए बॉक्स में उत्पादित होने वाले शहद पर बाजरे का फ्लेवर होगा। सरसों के खेतों के पास रखे गए बॉक्स से मिलने वाला शहद मस्टर्ड फ्लेवर का होता है। इसी तरह जंगल और उसके आसपास रखे बॉक्स में मधुमक्खियां वाइल्ड हनी का उत्पादन करती हैं। अलग-अलग फूलों के उत्पादन वाले इलाके में लगे छत्तों से मल्टी फ्लोरा फ्लेवर का शहद मिलेगा। इसी फ्लेवर के अनुसार शहद के दाम भी तय होते हैं।
एक और तरह का शहद मिलता है, जिसे खाली घरों के कमरों में लगे छत्तों से हासिल किया जाता है। हमने नाहीं कलां, इठारना, ढाकसारी में इन छत्तों को देखा है।
मधुमक्खियों को नये परिवार क्यों नहीं बनाने देते
पहाड़ के गांवों में मधुमक्खी पालन का परंपरागत तरीका बड़ा अनोखा है। घरों के अंदर मधुमक्खियों के छत्ते बनाने के लिए विशेष प्रयोजन किया जाता है। पलायन से खाली पड़े घरों में मधुमक्खी पालन करके शहद उत्पादन किया जा सकता है। इसमें विशेष देखरेख की भी आवश्यकता नहीं होती। एक बार आपको कमरे में विशेष ढांचा बनाकर उसको बंद करके मिट्टी से लेपना पड़ता है और फिर चार से छह माह में शहद प्राप्त किया जा सकता है। पहले के समय, लोग कमरों के बाहर दीवार पर छेद बना देते थे, जिनसे प्रवेश करके मधुमक्खियां कमरे में बने विशेष स्थान पर छत्ता बनाती हैं। यह सब प्राकृतिक रूप से होता है, बस आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है।
हमने इससे पहले ढाकसारी में और अब हमने मधुमक्खियों के छत्ते के पास बड़ी ततैया को देखा, जो बहुत आक्रामक दिख रही थी। गुंदियाल निवासी शहद उत्पादक राजेंद्र सोलंकी बताते हैं, ये ततैया जिन पर पीली धारियां होती हैं, मधुमक्खियों को खाने के लिए यहां दिखाई देती हैं। ये इनके बॉक्स में उस जगह मंडराते हैं, जहां से मधुमक्खियां बॉक्स के भीतर प्रवेश करती हैं। ये मधुमक्खियों के बड़े दुश्मन हैं। हमने इन ततैयों के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि ये Lesser banded hornet वेस्पा ट्रॉपिका (Vespa Tropica) है।

आइए इनके बारे में और जानकारी लेते हैं-
Lesser banded hornet एक प्रकार की ततैया है, जिसको इसके आकार और आक्रमकता के लिए जाना जाता है।
ये ततैया आकार में मधुमक्खियों से थोड़ी बड़ी होती हैं। इनके काले रंग के शरीर पर पीले रंग की धारियां होती हैं। ये मधुमक्खियों के अलावा छोटे कीड़ों को भी खाते हैं। ये मधुमक्खियों को पकड़ने के लिए शक्तिशाली जबड़े और डंक का उपयोग करते हैं।
इनको अक्सर पेड़ों की शाखाओं, दीवारों में बने छिद्रों या भवनों के अंदर बने छत्तों में देखा जाता है। यदि ये ततैया किसी को डंक मार दें तो उस व्यक्ति को दर्द, सूजन और एलर्जी हो सकती है। कुछ लोगों को इनसे गंभीर एलर्जी भी हो सकती है।
Lesser banded hornet मधुमक्खियों के छत्ते पर हमला करके उनको खाती हैं। ये बड़ी संख्या में मधुमक्खियों का शिकार करते हैं। इससे छत्ते में मधुमक्खियों की संख्या कम हो जाती है,जिससे शहद उत्पादन और खासकर, परागण की प्रक्रिया पर खराब असर पड़ता है।