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मारा गया मूर्ख चूहा

एक बिल्ला, जिसने युवावस्था में बहुत सारे चूहों को पकड़ कर खाया था, अब बूढ़ा हो चुका है। उसमें पहले जैसी फुर्ती नहीं है। वह तो किसी तरह अपने दिन गुजार रहा है। अब वह पहले की तरह तेजी से चूहों को नहीं पकड़ पा रहा है। उसको किसी न किसी ट्रिक से शिकार करना पड़ रहा है।

एक दिन वह कोई बहाना सोच रहा था कि चूहों को किस तरह बिना दौड़भाग किए पकड़ा जाए। वह अपनी पीठ के बल लेट गया। उसके पैर आसमान की ओर हो गए। वह मरने का बहाना बना कर पड़ा था। तभी एक चूहे की उस पर नजर पड़ गई। चूहा काफी देर तक उसको एक ही तरह लेटे हुए देख रहा था। चूहे को विश्वास हो गया कि बिल्ला मर गया। किसी बिल्ले का मरना तो चूहों के लिए खुशी की बात है।

वह यह खुशखबरी अपने दोस्तों तक जल्द से जल्द पहुंचाना चाहता था। वह दौड़ता हुए दोस्तों के पास पहुंचा और बोला, चलो सभी जश्न मनाओ, हमारा दुश्मन बिल्ला मर गया है। उसके साथ बहुत सारे चूहे वहां पहुंच गए, जहां बिल्ला पड़ा था। सभी उसके आसपास ही खुशी मनाते हुए नाचने लगे। चूहे नाचने में इतने मगन हो गए कि उनको पता ही नहीं चला कि वो बिल्ले के काफी पास तक पहुंच गए हैं।

इनमें से एक चूहा तो इतना उत्साहित हो गया कि वह बिल्ले के सिर पर खड़ा होकर नाचने लगा। उसने बिल्ले के सिर पर खड़े होकर कहा, दोस्तों मेरे पास आओ। घबराने की बात नहीं है, यह मर गया है। बिल्ला तो बहाना बना रहा था। जैसे ही उसने महसूस किया कि बहुत सारे चूहे उसके बहुत नजदीक आ गए हैं, उसने फुर्ती दिखाते हुए कुछ चूहों को पकड़ लिया। बिल्ले के सिर पर नाच रहा चूहा भी मारा गया। तभी तो कहते हैं कि अतिउत्साह में आकर कोई फैसला नहीं करना चाहिए। दिमाग से काम जरूर लेना चाहिए।

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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