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वीडियोः यह कहानी संघर्ष के दौर में ताकत देगी

बाढ़ से जूझ रहे एक पौधे और मिट्टी की कहानी है, जिसमें सूझबूझ से पौधे की जान बच जाती है

देहरादून जिला के दूरस्थ गांव इठारना स्थित राजकीय इंटर कालेज में दूरस्थ गांवों के बच्चे पढ़ाई करते हैं। ये बच्चे पहाड़ की पगडंडिया, संकरे रास्ते और घने वनों से होते हुए कई किमी. का पैदल सफर करते हैं।

डुगडुगी की टीम ने बच्चों को एक कहानी सुनाई जो संघर्ष और कठिन दौर की चुनौतियों से लड़ना सिखाती है। बच्चों ने बड़े ध्यान से इस कहानी को सुना और इसके महत्व पर चर्चा की। कहानी का एक अंश इस प्रकार है-

पहाड़ में बारिश की वजह से सबसे ज्यादा दिक्कत तो नालों- खालों के किनारे खड़े छोटे-बड़े पेड़ पौधों को हो रही है, क्योंकि वो तो कहीं नहीं जा सकते। उनको हर मुसीबत का सामना एक जगह खड़े होकर ही करना है। उनको अपना अस्तित्व संकट में दिख रहा है।

मिट्टी कहती है, मैं तो पूरी कोशिश कर रही हूं कि कोई भी इस बाढ़ में न बहे। अब मैं कुछ कमजोर पड़ रही हूं। मेरा काफी हिस्सा पानी में बह चुका है। अगर तुम अपनी मदद के लिए खुद तैयार नहीं होगे तो मैं भी क्या कर सकती हूं।

पूरी कहानी के लिए देखिये यह वीडियो…

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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