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ऋषिकेश जीजीआईसी के एनएसएस शिविर में बेटियों ने पूछे जरूरी सवाल

अच्छे व्यवहार और अच्छे कम्युनिकेशन के करिअर पर सकारात्मक प्रभाव पर चर्चा

ऋषिकेश। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज ऋषिकेश के राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर में छात्राओं ने कहानी सुनी। इस दौरान समय के महत्व और कम्युनिकेशन के तरीके पर चर्चा की और कई जरूरी सवाल पूछे। छात्राओं ने पूछा, इफेक्टिव कम्युनिकेशन के लिए क्या करें। इसके साथ ही, अच्छे व्यवहार और अच्छे कम्युनिकेशन के करिअर पर सकारात्मक प्रभावों पर भी चर्चा की।

ऋषिकेश में रेलवे रोड स्थित हरिचंद गुप्ता आदर्श कन्या इंटर कॉलेज में आयोजित सात दिवसीय एनएसएस शिविर में जीजीआईसी ऋषिकेश की 51 छात्राएं शामिल हुई हैं। प्रधानाचार्य दीना राणा के निर्देशन तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी निर्मला रावत तथा अजय सैनी( वोकेशनल टीचर) की देखरेख में आयोजित शिविर में छात्राएं प्रतिदिन बौद्धिक सत्र में शामिल हो रही हैं। इस दौरान, विभिन्न विषयों के जानकार उनको करिअर, कम्युनिकेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं।

शिविर में छात्राओं को आसपास रह रहे लोगों को स्वास्थ्य, स्वच्छता के विषय में जागरूक करना है। जैसे- स्वच्छता के लिए घर पर ही जैविक व अजैविक कूड़े को अलग-अलग करना, पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं करना, खाली प्लॉट्स एवं नालियों व नदियों में कूड़ना नहीं फेंकने आदि के संबंध में जागरूक करना है।

स्टोरी टेलिंग और कम्युनिकेशन पर एक सत्र के दौरान छात्राओं को बताया गया कि प्रभावी कम्युनिकेशन, जिसमें सामान्य बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल जरूरी है, साथ ही, जिनसे आप बात कर रहे हैं, उनका उस विषय से कितना जुड़ाव है, पर भी आवश्यक ध्यान रखना होगा। छात्राओं को विषयों की पढ़ाई में निरंतरता बनाए रखने को कहा गया। उनसे कहा गया है कि हमें घड़ी की तरह बनना है, जो हमें निरंतरता का पाठ पढ़ाती है। कल्पना कीजिए कि आपकी घड़ी आधा घंटा के लिए सो गई या उसने आराम कर लिया। घड़ी के आधा घंटा रुकने, उसकी निरंतरता में आधा घंटा का अंतर आने से उस पर निर्भर होने वाले लोगों की दिनचर्या पर क्या असर पड़ता है, के बारे में रूचिपूर्ण तरीके से बताया गया।

इसी तरह आपकी पढ़ाई में निरंतरता आवश्यक है। यदि पढ़ाई बाधित हुई तो इसका असर आपके रिजल्ट पर, आपके पैरेंट्स पर, आपके शिक्षक पर और आपके करिअर पर पढ़ेगा। इसलिए जीवन में किसी भी कार्य में निरंतरता आवश्यक है।

अपनी बात को, किसी विषय पर जानकारी देने के लिए कम्युनिकेशन में उन वस्तुओं और क्रियाकलापों को भी जोड़ दें, जिनसे हमारा प्रतिदिन का वास्ता है तो कम्युनिकेशन उबाऊ नहीं होगा और उससे अधिक हर व्यक्ति जुड़ाव महसूस करेगा। शिविर में बच्चों ने मीडिया से जुड़े सवाल भी पूछे।

कहानी सतरंगी के माध्यम से विविधता के महत्व को रेखांकित किया गया। सतरंगी एक मछली की कहानी है, जिसे अपने सात रंगों और सुंदरता पर अभिमान हो जाता है। बाद में उसको अपनी गलती का अहसास होता है और वो तालाब की अन्य मछलियों के साथ मिलजुलकर, अच्छे व्यवहार के साथ खुशी खुशी रहने लगती है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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