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इस दिशा में लगाएंगे मनी प्लांट तो बरसेगा धन

पेड़ पौधों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण रोल है। यह हमें सुख समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य देते हैं, लेकिन इनका सही प्रकार से चयन और इनको लगाने के लिए सही दिशा का ध्यान रखना होगा। वास्तु शास्त्र में हर पौधे को रखने के लिए एक दिशा तय है। अगर पौधे को सही दिशा में रखा जाए, तो हमें लाभ ही लाभ होते हैं। वहीं गलत दिशा में रखने पर आपको काफी नुकसान हो सकता है।

मनी प्लांट के बारे में कहा जाता है कि इसे घर में रखने से धन बढ़ता है पर क्या आप जानते हैं कि इसे गलत दिशा में रखने पर आपको आर्थिक नुकसान भी हो सकता है। मनी प्लांट को कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा में न रखा जाए। यह दिशा इसके लिए नकारात्मक मानी जाती है। इस दिशा में मनी प्लांट रखने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। मनी प्लांट की बेलें जमीन पर फैलाने से घर में कई तरह के नुकसानों को झेलना पड़ता है।

मनी प्लांट के पत्ते मुरझाए और सफेद नहीं होने चाहिए। ये अशुभ माना जाता है। रोज मनी प्लांट के पौधे को पानी दें। मुरझाई और सफेद पत्तियों को काट देना चाहिए। घर के बाहर मनी प्लांट का पौधा न लगाकर इसे अंदर लगाना शुभ होता है। मनी प्लांट के पौधे को गमले या बोतल में भी लगा सकते हैं।
घर में मनी प्लांट लगाने से न सिर्फ धन में बढ़ोतरी होती है, बल्कि रिश्तों में मधुरता भी आती है। इसे पूर्व-पश्चिम दिशा में लगाने से दांपत्य जीवन में तनाव पैदा होता है। घर में मनी प्लांट को दक्षिण-पूर्व दिशा में लगाना ठीक माना जाता है। इस दिशा के देवता श्रीगणेश हैं इसलिए यहां मनी प्लांट रखने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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