Featuredhealth

बच्चों के शरीर में इन लक्षणों को अनदेखा न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें

एम्स ऋषिकेश बाल शल्य चिकित्सक डॉ. सरिता स्याल की सलाह

ऋषिकेश। न्यूज लाइव ब्यूरो

एम्स ऋषिकेश के शल्य चिकित्सा विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सरिता स्याल का मानना है कि बच्चों के शरीर में किसी भी प्रकार की वृद्धि, हरे रंग की उल्टी आना, शौच के साथ खून आना या पेट में दर्द जैसे लक्षणों को अक्सर हल्के में लिया जाता है, जो कि बाल शल्य चिकित्सा संबंधी समस्याओं के संकेत हो सकते हैं।

लिहाजा, इस तरह के लक्षणों को अनदेखा करना बच्चों के जीवन के लिए घातक साबित हो सकता है। चिकित्सक का अभिभावकों को सुझाव है कि बच्चों में इस तरह की शिकायत सामने आने पर उनकी समस्या की अनदेखी हरगिज नहीं करें और तत्काल बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण अनुभवी शल्य चिकित्सक से कराएं।

एम्स संस्थान की विशेषज्ञ बाल शल्य चिकित्सक डॉ. सरिता स्याल का मानना है कि निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखकर, हम बच्चों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं और उन्हें एक स्वस्थ भविष्य प्रदान कर सकते हैं। आइए, हम सभी मिलकर इस दिशा में काम करें और अपने बच्चों को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन दें। स्वस्थ बच्चे, स्वस्थ भविष्य!

विशेषज्ञ बाल शल्य चिकित्सक का परामर्श बिंदुवार-

  1. जागरूकता और शिक्षा: माता-पिता और शिक्षकों को इन समस्याओं के प्रति जागरूक और सचेत रहना चाहिए। बच्चों को भी इस बारे में शिक्षित करना चाहिए, ताकि वह अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरुक रहें, उन्हें समझ सकें और सही समय पर मदद मांग सकें।
  2. शीघ्र पहचान और उपचार: बच्चों में दर्द या किसी प्रकार की असामान्य वृद्धि की शीघ्र पहचान और उपचार से उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो सकता है। इससे उन्हें दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सकता है।
  3. विशेषज्ञों से सलाह: बच्चों की स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लेना चाहिए। बाल शल्य चिकित्सक इन समस्याओं का उचित निदान और उपचार कर सकते हैं।
  4. नियमित स्वास्थ्य जांच: बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच से अनेक शल्य चिकित्सा संबंधी समस्याओं का पता चल सकता है और उन्हें समय पर उपयुक्त उपचार मिल सकता है।
  5. सहायता और समर्थन: अभिभावकों अथवा शिक्षकों को बच्चों को उनकी शल्य चिकित्सा संबंधी समस्याओं में सहायता और समर्थन प्रदान करना चाहिए। यह उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button