मुख्यमंत्री ने करीब ढाई लाख एमएसएमई उद्योगों को राहत की मांग की प्रधानमंत्री से
- मनरेगा के पैटर्न पर शहरी क्षेत्रों में मजदूरों के लिए एक नई योजना लाई जाए
- राज्य सरकार अपने व्यय पर अब तक 45 हजार प्रवासियों को उत्तराखंड वापस लाई है
- लगभग 3500 उद्योगों में 45 प्रतिशत क्षमता के साथ कार्य शुरू किया गया है
- कंटेनमेंट जोन के बाहर आर्थिक गतिविधियों को अनुमति दी जाए
- राज्य में ग्रीन जोन के बीच में सीमित पर्यटन गतिविधियां अनुमन्य की जाएं
- एसडीआरएफ की धनराशि से कोविड-19 के प्रबन्धन तथा अवस्थापना सृजन से संबंधी समस्त खर्चों को अनुमन्य किया जाए
- राज्य में काफी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं हैं, इनके राशन कार्ड बनाए जाने अत्यंत आवश्यक
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मुख्यमंत्रियों की वीडियो कान्फ्रेंसिग में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कोविड-19 से निपटने के लिए राज्य के कार्यों तथा प्रयासों के बारे में जानकारी दी। अन्य राज्यों से उत्तराखंड प्रवासियों को लाने संबंधी व्यवस्थाओं के बारे में बताते हुए राज्य के निवासियों के हित में कई सुझाव भी दिए।
वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि लॉकडाउन के दौरान राज्य का कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा नहीं सोया है। राज्य सरकार के साथ ही सामाजिक स्तर पर इसकी व्यापक व्यवस्था की गई है। कोविड-19 की रोकथाम के लिए राज्य में लगभग 500 डॉक्टरों की तैनाती तथा इतने ही पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था की गई।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के समय पर लिए गए साहसिक निर्णय से देश आज खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के दृष्टिगत समय-समय पर प्रधानमंत्री के साथ ही अन्य केन्द्रीय मंत्रियों, कैबिनेट सचिव एवं अन्य विभागीय सचिवों के मार्गदर्शन के लिए भी आभार व्यक्त किया।
राज्य के 13 में से 11 जिलों में आईसीयू, वेंटिलेटर एवं बाईपैप तथा पैरामेडिकल स्टाफ के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी असामान्य परिस्थिति का सामना किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना के मामले 45 दिन में डबल हो रहे हैं तथा रिकवरी रेट 67.6 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य में 68 पॉजीटिव मामले हैं,जिनमें से 46 व्यक्ति स्वस्थ होकर घर लौट गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक राज्य में 45 हजार प्रवासियों को वापस लाया गया है। जिसका व्यय राज्य सरकार ने वहन किया है। पुणे व सूरत से भी ट्रेन से लोगों को वापस लाया जा रहा है। राज्य सरकार ने लगभग दो लाख श्रमिकों के खाते में दो-दो हजार रुपये की धनराशि जमा कराई है। लगभग 3500 उद्योगों में 45 प्रतिशत क्षमता के साथ कार्य शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में श्रमिक कानूनों में सुधार किया गया है। कान्ट्रेक्ट फार्मिंग की दिशा में पहल की गई है। मुख्यमंत्री ने उद्योगों की भांति किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की तरह पोर्टल तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि किसान मजबूत होगा तो आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। खनन के चुगान में बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता रहती है। इसके लिए भी एनजीटी से अनुमति प्रदान करने में प्राथमिकता की अपेक्षा मुख्यमंत्री ने की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आवासीय विद्यालयों को खोलने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही वित्तीय सीमितता एवं टैक्स कलेक्शन में हो रही कमी के कारण ऋण सीमा को तीन प्रतिशत से चार प्रतिशत किया जाए। कंटेनमेंट जोन के बाहर आर्थिक गतिविधियों को अनुमति दी जाए। राज्य के अन्दर ग्रीन जोन के बीच में सीमित पर्यटन गतिविधियां अनुमन्य की जाएं। राज्य ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना पीएमईजीपी के स्वरूप पर शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी से होटल, रेस्टोरेंट तथा पर्यटन एवं परिवहन व्यवसाय सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। राज्य में करीब ढाई लाख एमएसएमई उद्योग है, जिनसे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है, इन्हें राहत देने के लिए विचार किया जाना चाहिए।
मनरेगा के अंतर्गत मानक गतिविधियों में होम स्टे एवं अन्य गतिविधियां भी अनुमन्य की जाए। मनरेगा में अल्प अवधि की कृषि गतिविधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी में पुरुष जॉब कार्ड धारक को फार्म उत्पादन प्रसंस्करण यूनिट के निर्माण की अनुमति दी जाए। वर्तमान में यह एनआरएलएम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए ही अनुमन्य है। मनरेगा के पैटर्न पर शहरी क्षेत्रों में मजदूरों के लिए एक नई योजना लाई जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में काफी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं हैं। भारत सरकार की ओर से एक अप्रैल के बाद राशन कार्ड बनाने पर मनाही की गई है। ये लोग अत्यंत गरीब है और राज्य में इनकी संख्या करीब तीन लाख के आसपास है। इनके जीवनयापन का भी कोई तत्काल साधन नहीं है। इनके राशन कार्ड बनाने अत्यंत आवश्यक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ की धनराशि से कोविड-19 के प्रबन्धन तथा अवस्थापना सृजन से सम्बन्धित समस्त खर्चे को अनुमन्य किया जाना चाहिए।