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NEP 2020: कक्षा छह से आठ के छात्रों के लिए दस दिन का बैगलेस कार्यक्रम

स्कूलों में बैगलेस डेज़ के लिए पीएसएससीआईवीई द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गई

नई दिल्ली। न्यूज लाइव

कक्षा 6 से 8 के सभी छात्र दस-दिवसीय बैगलेस (Bag less) कार्यक्रम में शामिल होकर स्थानीय कौशल विशेषज्ञों के साथ इंटर्नशिप करेंगे और पारंपरिक स्कूल व्यवस्था से बाहर की गतिविधियों में भाग लेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पैराग्राफ 4.26 में बैगलेस (Bag less) कार्यक्रम की अनुशंसा की गई है। इन सिफारिशों के आधार पर, पीएसएससीआईवीई ने बैगलेस डेज़ को लागू करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। ये दिशा-निर्देश स्कूलों में छात्रों के लिए सीखने की प्रक्रिया को अधिक आनंददायक, प्रयोगात्मक और तनाव-मुक्त बनाने के उद्देश्य से डिज़ाइन किए गए हैं।

बैगलेस डेज़ को पूरे वर्ष प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें कला, क्विज़, खेल और कौशल-आधारित शिक्षा जैसी विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी। छात्रों को कक्षा के बाहर की गतिविधियों से समय-समय पर अवगत कराया जाएगा, जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों की यात्रा, स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों के साथ बातचीत और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार उनके गांव, तहसील, जिले या राज्य के भीतर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का दौरा शामिल है।

28 जून, 2024 को स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता (एसई एवं एल) विभाग के सचिव संजय कुमार ने स्कूलों में बैगलेस डेज़ के लिए शिक्षा मंत्रालय के तहत एनसीईआरटी की इकाई पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान (पीएसएससीआईवीई) द्वारा तैयार किए गए दिशा-निर्देशों की समीक्षा की।

इस बैठक में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) और केन्द्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के प्रतिभागियों ने भाग लिया।

छात्रों को स्थानीय पारिस्थितिकी के बारे में जागरूक करने, उन्हें पानी की शुद्धता की जांच करना सिखाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को पहचानने और स्थानीय स्मारकों का दौरा करने सहित विभिन्न सुझावों पर चर्चा की गई। इस समीक्षा के आधार पर, पीएसएससीआईवीई अपने दिशा-निर्देशों को और बेहतर बनाएगा तथा इन्हें अंतिम रूप देगा।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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