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जनता के साथ साझीदार के रूप में कार्य कर रही सरकारः धामी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कला, साहित्य एवं संस्कृति मानव जीवन के अभिन्न अंग हैं। हमारे क्रांतिकारियों, बलिदानियों एवं देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वालों की याद में देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। देश के इन सपूतों की गाथाओं की जानकारी युवा पीढ़ी को होना जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को अपने आवास पर स्थित जनता दर्शन हॉल में स्नेहिल संस्था के आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय कला यात्रा का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ने स्नेहिल स्मारिका का विमोचन भी किया।

उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में स्नेहिल संस्था शहीदों एवं क्रांतिकारियों को कला एवं साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से याद कर रही है, यह सराहनीय प्रयास है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत शक्तिशाली, वैभवशाली और आत्मनिर्भर बन रहा है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक पटल पर भारत को अलग पहचान दिलाई है। देश में हर वर्ग को ध्यान में रखकर केन्द्र सरकार जन कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। देश तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है।

उन्होंने कहा कि चार जुलाई को उत्तराखंड का मुख्य सेवक बनने के बाद से मेरा प्रयास है कि आंदोलनकारियों एवं शहीदों के सपनों के अनुरूप प्रदेश का विकास हो। सरकार जनता के साथ साझीदार के रूप में कार्य कर रही है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चन्द्र बोस, खुदीराम बोस, सरदार पटेल, रानी लक्ष्मीबाई, सावित्री बाई फुले, कनक लता बरुआ आदि आंदोलनकारियों एवं क्रांतिकारियों की पेंटिंग का अवलोकन किया।

कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, भाजपा नेता बलजीत सोनी, स्नेहिल संस्था के संरक्षक डॉ. आरबी सिंह, चौधरी अवधेश कुमार,  स्नेहिल संस्था की अध्यक्ष डॉ. ममता सिंह, शशि, डॉ. राशि झा, डॉ. रामवीर सिंह, मंजुला सिंह, डॉ. चेतना पोखरियाल, डॉ. अलका मोहन शर्मा आदि मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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