
चाइनीज मांझे से कट गई आधी गर्दन, एम्स ऋषिकेश ने बचाई जान
एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने की सफलतापूर्वक सर्जरी
ऋषिकेश। 29 मार्च, 2025
चाइनीज मांझे की चपेट में आने से गर्दन का लगभग आधा हिस्सा कटने पर बिजनौर निवासी एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने आधे से अधिक कटी गर्दन की सफलतापूर्वक सर्जरी कर उनको नया जीवन दिया। चिकित्सकों के अनुसार यह केस ग्रेड 4 शॉक कैटेगिरी का है। घायल व्यक्ति की भोजन व सांस नली के साथ ही हृदय से मस्तिष्क में रक्त सप्लाई करने वाली दाईं तरफ की कोशिकाएं पूरी तरह से कट चुकी थीं, जिससे काफी रक्त बह चुका था।
एम्स के ट्रॉमा सर्जरी विभाग फरवरी माह में अब तक मांझे से कटे सात घायलों का सफल उपचार कर चुका है। इनमें से बिजनौर, उत्तरप्रदेश निवासी एक व्यक्ति सबसे अधिक गंभीर स्थिति में अस्पाल आए थे।
परिजनों के मुताबिक, बिजनौर निवासी यह व्यक्ति अपने पुत्र का इलाज कराने कुछ दिन पूर्व दुपहिया वाहन से बिजनौर से एम्स आ रहे थे। हरिद्वार हाईवे पर चाइनीज मांझे की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजन उनको पास के अस्पताल ले गए। जहां से उनको वेंटीलेटर पर एम्स रेफरल कर लाया गया।
चिकित्सकों के अनुसार, जिस वक्त घायल को एम्स ट्रॉमा सेंटर इमरजेंसी में लाया गया, तब तक घायल के शरीर से काफी रक्त बह चुका था। बीपी और धड़कन नहीं आ रही थी। ट्रॉमा इमरजेंसी टीम ने तत्काल घायल को प्रारंभिक जांच, उपचार के साथ रक्त चढ़ाकर स्टेबल किया और ऑपरेशन शुरू किया।
ट्रॉमा सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. कमर आजम, ट्रॉमा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल व डॉ. नीरज कुमार की देखरेख में ट्रॉमा सर्जन डॉ. रूबी के नेतृत्व में ऑपरेटिंग टीम के सदस्य डॉ. संतोष, डॉ. रोहित व एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. अंकिन व डॉ. रीना ने जटिलतम सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया व गंभीर घायल को नया जीवन प्रदान किया।
डॉ. रूबी के अनुसार केस काफी क्रिटिकल था, जिसमें मांझे से मरीज की गर्दन काफी गहरी कट गई थी। जिससे उनकी खाने की नली, सांस की नली व रक्त ध्वनियां, जो दिल से दिमाग को खून देने का सिस्टम पूरी तरह से डैमेज था।
मरीज को सफल सर्जरी के बाद सात दिन वेंटीलेटर पर आईसीयू में चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया। इसके बाद मरीज़ सामान्यरूप से भोजन व सांस ले रहा है। मरीज को बोलने में भी कोई परेशानी नहीं है। मरीज को ओटी के बाद कोई भी न्यूरोनल डेफिसिट की शिकायत नहीं थी।
घातक हो सकती है मांझे की इंज्युरी
एम्स के ट्रॉमा विशेषज्ञ के अनुसार माझे की इंज्युरी बहुत अधिक घातक हो सकती है। इससे सुरक्षा के लिए उन्होंने दुपहिया वाहन चालकों से वाहन चलाते समय मफलर बांधने व हेलमेट लगाकर चलने का सुझाव दिया है।