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यूएनसीसीडी कॉप-14ः आओ, अपनी पीढ़ियों को बेहतर दुनिया दें

मरुस्थलीकरण उपजाऊ भूमि को बंजर कर रहा है। मरुस्थलीकरण से निपटने और कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए विश्व स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। इस पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अंतर्गत 122 देशों की 12 दिवसीय 14 वां कान्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-14) सोमवार को इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट, ग्रेटर नोएडा में शुरू हो गया। इस सम्मेलन में दुनियाभर में भूमि के उपयोग की नीतियों को मजबूत बनाने तथा सूखे, धूल की आंधी, रेत से होने वाले खतरों से भी निपटने के लिए 30 निर्णय लिए जाएंगे।

यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव व राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो की उपस्थिति में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कान्फ्रेंस के उद्घाटन पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर जागरूकता तथा लोगों की भागीदारी समय की आवश्यकता है। चाहे जलवायु परिवर्तन हो या मरुस्थलीकरण हो। मानवीय दखल ने प्रकृति के संतुलन को नुकसान पहुंचाया है। अब ऐसा अनुभव किया जा रहा है कि यदि मानव के कार्यों से कुछ नुकसान पहुंचा है तो सकारात्मक कार्यों से उस नुकसान को कम किया जा सकता है और आने वाली पीढ़ियों को हम एक बेहतर दुनिया दे सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि कृषि योग्य भूमि को संरक्षित करने के लिए विश्वस्तर पर चलाए जाने वाले अभियान पर 122 देश सहमत हुए हैं, जिनमें ब्राजील, चीन, भारत, नाइजीरिया, रूस और दक्षिण अफ्रीका जैसे सर्वाधिक आबादी वाले देश शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 9 सितंबर, 2019 को उच्चस्तरीय बैठक का उद्घाटन करेंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसे विश्व मंच पर अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को साझा करने से विश्व को सहायता हासिल होगी। हम लोग प्रत्येक देश में तेजी से कार्य कर सकते हैं। इसलिए यह यूएनसीसीडी बहुत महत्वपूर्ण है और आशा करते हैं कि कुछ अच्छे परिणामों को दिल्ली घोषणा पत्र में अधिसूचित किया जाएगा। दिल्ली घोषणा पत्र भविष्य की कार्य योजना की रूपरेखा होगी।

यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव ने हाल के वैज्ञानिक आकलनों की चेतावनियों पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि मौसम से संबंधित आपदाएं जैसे सूखा, जंगल की आग, अचानक से आई बाढ़ और भूमि का क्षरण हमें चेतावनी देते हैं। सदस्य देशों से आग्रह किया कि उन्हें बदलावों को ध्यान में रखना चाहिए और इससे संबंधित कार्य करने चाहिए। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। कहा कि हम भारत में आकर बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं।

इस कान्फ्रेंस में 197 देशों के लगभग 7200 प्रतिनिधि शामिल होंगे। यूएनसीसीडी भूमि के अच्छे रखरखाव पर एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। यह समावेशी भूमि प्रबंधन के जरिए पर्याप्त खाद्यान, जल और ऊर्जा सुनिश्चित करने में लोगों, समुदायों और देशों की मदद करता है

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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