
NRM and sustainable agriculture: ICAR-IISWC से छात्रों-शोधार्थियों ने जाना प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
NRM and sustainable agriculture: देहरादून, 27 जून, 2025: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने 27 जून 2025 को “नेशनल गवर्नेंस टूर” के तहत लगभग 50 छात्रों और शोधार्थियों के एक दल की मेज़बानी की।
इस दल में कृषि, कानून, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और सामाजिक विज्ञान जैसे विविध शैक्षणिक क्षेत्रों के प्रतिभागी शामिल थे। ये प्रतिभागी देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों, जैसे आईआईटी चेन्नई, एसआरएम इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (कट्टनकुलथुर, चेन्नई) और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (जालंधर, पंजाब) से आए थे।
संस्थान के निदेशक, डॉ. एम. मधु ने छात्रों को संबोधित करते हुए मृदा अपरदन (Soil Erosion) की प्रक्रिया और इसे नियंत्रित करने के पाँच प्रमुख सिद्धांतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि वर्षा की बूँदों की गतिज ऊर्जा को छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर मृदा कटाव को कैसे रोका जा सकता है। उन्होंने मृदा के विघटन, परिवहन और निक्षेपण (DTD-Detachment–Transport–Deposition) की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला और बताया कि प्रभावी मृदा संरक्षण उपायों के माध्यम से इन प्रक्रियाओं को नियंत्रित और प्रबंधित करना अत्यंत आवश्यक है।
Read Also: ICAR-IISWC Fodder Management VKSA 2025: खरीफ ऋतु में चारे एवं घास भूमि प्रबंधन के लिए जागरूक किया
NRM and sustainable agriculture: इस भ्रमण के समन्वयक, पीएमई एवं केएम इकाई के प्रमुख और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एम. मुरुगानंदम ने बताया कि कैसे आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी में क्षेत्र-विशिष्ट मृदा एवं जल संरक्षण (एसडब्ल्यूसी) तकनीक का विकास किया जाता है। उन्होंने मृदा की गुणवत्ता, वर्षा की विशेषताएँ, भूमि की ढलान, भूमि आवरण और फसल प्रणाली जैसे कारकों को समझने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि स्थायी कृषि उपाय विकसित किए जा सकें। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कृषि, नदी पारितंत्र (Riverine Biodiversity) और समग्र उत्पादकता पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा की तथा Climate-Resilient Agricultural Strategies विकसित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
इस अवसर पर छात्रों और शोधार्थियों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) तथा सतत कृषि पद्धतियों के महत्व से अवगत कराया गया। साथ ही, उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), उसके अनुसंधान संस्थाओं के नेटवर्क, तथा आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी और इसके क्षेत्रीय केंद्रों की भूमिका से परिचित कराया गया। इस दौरान छात्रों ने मृदा-जल संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य, उन्नत कृषि तकनीकों और इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं को लेकर उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे।
यह भ्रमण गुजरात स्थित ज़ीरो ऑवर फाउंडेशन द्वारा “स्टूडेंट्स पार्लियामेंट” के अंतर्गत आयोजित किया गया था। यह दल वर्तमान में देहरादून में अध्ययन भ्रमण के तहत विभिन्न राजनीतिक, प्रशासनिक, वैज्ञानिक और सार्वजनिक संस्थानों की कार्यप्रणाली को समझने हेतु भ्रमण कर रहे हैं।