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योगाचार्य डॉ. एलएन जोशी ने पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को कराया योगाभ्यास

  • ऋषिकेश कोतवाली में करोना वॉरियर्स रक्षण कार्यक्रम का आयोजन
  • लगातार ड्यूटी करने से होने वाली दिक्कतों को य़ोगाभ्यास से दूर किया जा सकता हैः डॉ. जोशी

ऋषिकेश। विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त योगाचार्य डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी ने ऋषिकेश कोतवाली में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वस्थ रहने के लिए योगाभ्यास का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने लंबे समय तक ड्यूटी पर निरंतर खड़े रहने के कारण शरीर में होने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ योगासनों की जानकारी दी।

डॉ. जोशी उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में योग विभागाध्यक्ष हैं और देश विदेश में योग का प्रचार कर रहे हैं। देश विदेश में बड़ी संख्या में उनके फॉलोअर और शिष्य हैं, जिनको वर्तमान में ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। गुरुवार को करोना वॉरियर्स रक्षण कार्यक्रम के तहत डॉ.जोशी ऋषिकेश कोतवाली पहुंचे।

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इस मौके पर कोतवाल रितेश शाह, युवा व्यापारी नेता हितेंद्र पंवार और योगाचार्य डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। व्यापारी नेता हितेंद्र पवार ने सभी कोरोना वॉरियर्स को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि कोरोना वॉरियर्स की वजह से ही पूरा देश सुरक्षित है। रात दिन परिश्रम करके पुलिस समाज की सुरक्षा कर रही है। हमें पुलिस को सहयोग करना चाहिए।

डॉ. जोशी ने कहा पुलिस का कार्य बहुत ही कठिन है। पुलिसकर्मी ड्यूटी पर लगातार कई घंटे खड़े रहते हैं। इस कारण उनको पीठ, एड़ी तथा सिर तथा गर्दन में दर्द की शिकायत रहती है। उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मी ड्यूटी स्थल पर ही कुछ आसान से योगाभ्यास कर सकते हैं, जिनसे स्वस्थ रहा जा सकता है। डॉ.जोशी ने पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को कुछ विशेष योगासनों का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि यदि इनका योग का अभ्यास नियमित रूप से करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे।

कोतवाल रितेश शाह ने भी योगाचार्य डॉ. जोशी के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि डॉ. जोशी भविष्य में इसी प्रकार पुलिस कर्मियों को योग का प्रशिक्षण देते रहेंगे। इस अवसर पर हरीश गावड़ी, प्रकाश चंदोला, जैनेंद्र रमोला, धीरज मखीजा, संजय पंवार, केशव मुल्तानी, राजीव अरोड़ा, रमन सेठी, अनुराग वर्मा आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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