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यूसीसी के तहत पंजीकरण का मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई सरोकार नहीं

यूसीसी का ड्राफ्ट बनाने वाली विशेषज्ञ समिति की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल ने जानकारी दी

देहरादून। 06 फरवरी, 2025

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट बनाने वाली विशेषज्ञ समिति की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई सरोकार नहीं है।

उन्होंने बताया, उत्तराखंड में न्यूनतम एक साल से रहने वाले सभी लोगों को इसके दायरे में इसलिए लाया गया है, ताकि इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी संरक्षित हो सके।

यूसीसी प्रावधानों पर बयान जारी करते हुए प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यूसीसी का सरोकार शादी, तलाक, लिव इन, वसीयत जैसी सेवाओं से है। इसे स्थायी निवास या मूल निवास से जोड़ना किसी भी रूप में संभव नहीं है।

इसके अलावा, यूसीसी पंजीकरण से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने हैं। उत्तराखंड में स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार ही तय होगा, समान नागरिक संहिता कमेटी के सामने यह विषय था भी नहीं।

उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत होने वाला पंजीकरण ऐसा ही है, जैसे कोई व्यक्ति कहीं भी सामान्य निवास होने पर अपना वोटर कार्ड बना सकता है। इसके जरिये निजी कानूनों को रैग्यूलेट किया गया है। ताकि उत्तराखंड का समाज और यहां की संस्कृति संरक्षित रह सकें। इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही, आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर भी इससे अंकुश लग सकेगा।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे।

प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यदि यह सिर्फ स्थायी निवासियों पर ही लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते, जबकि वो यहां की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं। ऐसे लोगों का विवाह, तलाक, लिव इन जैसे रिश्तों का विवरण, उत्तराखंड के पास नहीं होता है।

इसका मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद्ध बनाना है। प्रो. सुरेखा डंगवाल के मुताबिक इससे विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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