हमें शर्मिंदा तो होना चाहिएः टूटे कमरे के एक कोने में बैठकर रात काट रहे मां और बच्चे
रुद्रप्रयाग के कमसाल गांव में छह जनवरी की रात बारिश में पूरी तरह टूटा जीर्ण शीर्ण मकान
देहरादून। रुद्रप्रयाग जिले के कमसाल गांव में एक महिला जीर्ण शीर्ण मकान में लगभग छह साल से दो बच्चों के साथ रह रही है। उनके पति की मृत्यु हो चुकी है। कुछ दिन पहले बारिश में मकान पूरी तरह टूट चुका है। प्रधानमंत्री आवास योजना में उनका नाम है, पर इंतजार क्यों कराया जा रहा है, कोई बताने वाला नहीं है।
यह तस्वीर 22 साल के हो गए उत्तराखंड की है, जिसमें विधानसभा का पांचवां चुनाव हो रहा है। दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस सरकार बना चुके हैं, पर तस्वीर वो ही है, जो राज्य बनने से पहले की थी, खासकर दूरस्थ पर्वतीय गांवों की। राज्य निर्माण हो गया, पर पहाड़ की पीड़ा में कोई राहत नहीं दिखती।
कमसाल गांव की पूनम देवी और बच्चों की स्थिति को लेकर एक ट्वीट किया गया है, जिसमें एक अखबार की कटिंग भी लगाई गई है, जिसके अनुसार, महिला के पति की छह साल पहले मृत्यु हो गई थी। उनके दो छोटे बच्चे हैं, जो टूटे मकान में रह रहे हैं। टूटे घर में रहना जोखिमभरा है, वहां जंगली जानवरों का खतरा बना है।
.@DmRudraprayag से मेरा आग्रह है कि पूनम बेटी और उसके दो मासूम बच्चों को शीघ्र अति शीघ्र मदद पहुँचाने की कृपा करें।
मैं कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं से भी अपील करूँगा कि पूनम बेटी और उसके परिवार को हर संभव मदद करें।
उत्तराखंड की कोई बेटी लाचारी में नहीं, स्वाभिमान के साथ रहेगी। https://t.co/aRTue4vEbc— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) January 31, 2022
छह जनवरी की बारिश में उनके घर की छत टूट गई। कुछ दिन दूसरों के घर में शरण लेकर किसी तरह तिरपाल से घर ढंक दिया, पर दिन में बंदर घर में रखा राशन बर्बाद कर देते हैं। रात को जंगली जानवरों का भय है। मां और दोनों बच्चे कमरे के एक कोने में दुबक कर सर्दियों वाली रात बीतने का इंतजार करते हैं।
उनकी इस पीड़ा को लेकर एक ट्वीट के माध्यम से मदद की अपील करते हुए लिखा गया है- रुद्रप्रयाग जनपद के कमसाल गांव की 28 वर्षीय पूनम और उनके दो बच्चे एक पुराने और टूटे मकान में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। पति की छह साल पहले मृत्यु हो गई और अब पूनम और बच्चों का जीवन बहुत ही मुश्किलों में बीत रहा है। पूनम को एक सुरक्षित छत की आवश्यकता है। आप सभी से मदद का आग्रह है।
इस ट्वीट को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साझा किया है, जिसमें वो रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी से कहते हैं, मेरा आग्रह है कि पूनम बेटी और उसके दो मासूम बच्चों को शीघ्र अति शीघ्र मदद पहुँचाने की कृपा करें। मैं कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं से भी अपील करूँगा कि पूनम बेटी और उसके परिवार को हरसंभव मदद करें। उत्तराखंड की कोई बेटी लाचारी में नहीं, स्वाभिमान के साथ रहेगी।
सवाल यह उठता है कि उत्तराखंड में विकास के नाम पर वोट मांगकर सत्ता में रहने वाले दल दूरस्थ गांवों के विकास की दिशा में कब चिंतन करेंगे। यह चिंतन चुनावी क्यों है। क्या छह वर्ष पूर्व पति की मृत्यु के बाद एक महिला और उनके बच्चों को सरकारी एवं विभागीय स्तर पर सहयोग नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों की शिक्षा, उनको सुरक्षित आवास, आजीविका के संसाधन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी तो सरकार की है।