Blog LiveFeaturedNatureUttarakhand

VIdeo- ऋषिकेश में गंगा किनारे श्री गंगेश्वर महादेव के दर्शन और ऋषि से मुलाकात

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव ब्लॉग
ऋषिकेश। ऋषिकेश में एम्स (AIIMS, Rishikesh) के पास बैराज से थोड़ा आगे की ओर बढ़ेंगे तो श्री गंगेश्वर महादेव मंदिर पहुंच जाएंगे। मंदिर परिसर से अविरल गंगा के दर्शन कीजिए और सामने घने वनों वाले पहाड़ देखने का आनंद लीजिए।

यहां गंगा तट पर, प्रकृति के नजदीक रहकर आप जो भी कुछ महसूस करते हैं, उसको शब्दों में पिरोना मेरे बस की बात नहीं है। पर, मैंने मंदिर निर्माण एवं महादेव की प्रतिमा स्थापना के बारे में जो सुना है, उसके अनुसार तो यही कहा जा सकता है कि यह  श्री गंगेश्वर महादेव की इच्छा ही है कि श्रद्धालुओं को गंगा तट पर उनके दर्शन हो रहे हैं।

ऋषिकेश पहुंचने के बाद, मैं बैराज से आगे गंगा के किनारे किनारे आगे बढ़ रहा था। गंगा तटों पर वर्षों पहले खूब घूमा, तब ऋषिकेश मेरी कार्यस्थली थी। 2003 में ऋषिकेश से देहरादून चला गया और यहां गंगा के तटों पर घूमने का अवसर फिर कभी नहीं मिला। 2012-13 में हरिद्वार में बाहरपीली, कांगड़ी गांव, पदार्था, बिशनपुर कुंडी, भोगपुर जैसे इलाकों में गंगा तटों पर घूमने का अवसर पाया।
हां, तो मैं बात कर रहा था, रविवार (2 जनवरी, 2022) के भ्रमण की। गंगा किनारे होते हुए बैराज से आगे बढ़ा, तो गंगेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थापित भगवान शिव की विशाल प्रतिमा के दर्शन हुए। श्री गंगेश्वर महादेव के मंदिर में कुछ समय बिताने और अविरल गंगा के दर्शन करने का मोह परिसर तक ले गया। कुछ देर वहीं बैठा रहा और लगा कि आज एक बार फिर प्रकृति के नजदीक पहुंच गया हूं।

मेरे मित्र मोहित उनियाल कहते हैं, हमारा शरीर पंचतत्व से बना है, जब हम इनके बहुत पास होते हैं, तो मन को अच्छा लगता है। इसलिए वो और मैं, जब भी मौका मिलता है निकल पड़ते हैं पर्वतीय गांवों की ओर। पर, एक सवाल मन में बार-बार उठता है, वो यह कि हम वो सब कुछ क्यों नहीं करते, जो हमारे मन को अच्छा लगता है।जो लोग अपने इतने सुंदर गांवों को छोड़ रहे हैं, जो लोग प्रकृति से दूर हो रहे हैं, क्या उनके मन को प्रकृति के पास रहना अच्छा नहीं लगता।
इस सवाल का तो, एक ही जवाब है, वो यह कि उनका अपने गांव को छोड़कर जाना, अपने परिवार को छोड़कर दूर कहीं शहरों में जाना, मजबूरी का पलायन है।  खैर, यह बड़ी बहस का मुद्दा है। इस पर, तो लगातार बात करते रहे हैं।   हां, तो मैं बैराज के पास गंगा किनारे भ्रमण की बात कर रहा था। मंदिर परिसर में मुलाकात हुई योगा टीचर ऋषि शर्मा से। गंगेश्वर मंदिर परिसर में गंगा की अविरल धारा के पास क्या महसूस किया, के सवाल पर वो कहते हैं, यह तो गूंगे का गुड़ (अवर्णनीय सुख) जैसा है। महसूस शब्द इसके लिए नहीं बना। जो व्यक्ति को महसूस होता है, वो दूसरे आयाम का है।
अगर हम इसको शब्दों में कहना भी चाहें तो क्या बोलेंगे, ऐसी असीम शांति, ऐसा सुंदर वातावरण, ऐसा लुभावना दृश्य…, ये शब्द तो बहुत कम हैं, जो हमें यहां देखने और महसूस करने को मिलता है। मैं तो यहीं कहूंगा कि यहां आकर व्यक्तिगत रूप से अनुभव करें तो स्वयं पता चलेगा। मैं यहां दूसरी बार आया हूं, यह मेरे पड़ोस में है।
वो सबसे कहते हैं, यहां आएं और सबकुछ छोड़कर आएं दिमाग से। यहां बैठकर स्वयं को जरा नेचर को समर्पित करके देखें कि क्या आनंद आता है, क्या मजा आता है।
ऋषि शर्मा का कहना है, लोग कहते हैं कि जैसे हम जंगल जाते हैं, पहाड़ों में जाते हैं, हमें बड़ी शांति महसूस होती है, बहुत अच्छा लगता है, पर उनको शहरों में अच्छा क्यों नहीं लगता।
उसका कारण यह है, शहरों में जितने लोग- उतने मन, जितने मन- उतने विचार, जितने विचार- उतना अहंकार, विचारों का जमघट, जितने विचार वातावरण में घूमते हैं, इसलिए वातावरण अशांत होना स्वाभाविक है। लोग प्रकृति के ऐसे ऐसे कोनों में जाते हैं, जहां लोग ज्यादा नहीं जाते। मतलब वहां विचार ज्यादा नहीं हैं। पेड़ तो अकेला बैठकर कुछ सोच नहीं रहा। उसको न तो भविष्य की चिंता है और न भूत का चिंतन है। वो तो पूरे आनंद स्वरूप में टिका है। शांति ही शांति ही उसके मूल स्वरूप से निकल रही है। ऐसे में उसके पास शांति ही शांति है।

वहीं, बताया जाता है कि एम्स से आगे सड़क निर्माण के दौरान शिवजी के प्राचीन मंदिर को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाना था। मंदिर को गंगा तट पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया। मंदिर समिति ने सभी के सहयोग से करीब एक साल पहले ही मंदिर का निर्माण कराया है। यहां मंदिर परिसर में श्री गंगेश्वर महादेव की भव्य प्रतिमा की स्थापना कराई गई है। योगाचार्य डॉ. एलएन जोशी बताते हैं कि वास्तव में यहां बैठकर जो अनुभव होता है, उसको शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। मैं तो जब समय मिलता है, मंदिर परिसर से पावन गंगा के दर्शन करता हूं।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button