आधी रात को कांग्रेस ने पांच सीटों पर बदले दावेदार
हरीश रावत को रामनगर से लालकुआं भेजा और हरिद्वार ग्रामीण में उनकी बेटी को टिकट
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आधी रात को प्रत्याशियों की घोषणा करती है और फिर अपनी ही घोषणा को आधी रात में पलट देती है। कांग्रेस ने चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सीट ही बदल दी और चार अन्य प्रत्याशियों की जगह नये दावेदारों की सूची घोषित की दी।
वहीं, परिवारवाद को बढ़ावा देती कांग्रेस ने हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से प्रत्याशी बनाया है। पिछले चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण से हरीश रावत को भाजपा के यतीश्वरानंद ने हराया था।
कांग्रेस ने सोमवार रात प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी की थी, जिसमें 11 नाम थे। रामनगर से हरीश रावत को प्रत्याशी घोषित किया गया था। दूसरे दिन मंगलवार से कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदले जाने की चर्चा होने लगी। बुधवार को इस चर्चा पर विराम लगाने और समाधान के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में सीटों पर प्रत्याशियों की स्थिति की समीक्षा की गई।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मीडिया से कहा, समीक्षा में पाया कि 16 सीटों पर हालात सही नहीं है। इसलिए आठ सीटों पर उन्होंने स्वयं और चार-चार सीटों पर प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल को जिम्मेदारी संभालने का निर्णय लिया है। इस बयान से स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस डैमेज कंट्रोल अपने तरीके से करेगी। हरीश रावत स्वयं रामनगर सीट पर विरोध झेल रहे थे। विरोध करने वालों को समझाने का जिम्मा उन्हीं के नेताओं को दिया गया है। इससे किसी भी प्रत्याशी का टिकट वापस नहीं होने की संभावना जताई जाने लगी।
पर, इन सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए कांग्रेस ने हरीश रावत को रामनगर से लालकुआं भेज दिया और डोईवाला से मोहित उनियाल की जगह गौरव चौधरी, ज्वालापुर में बरखा रानी की जगह रवि बहादुर, कालाढुंगी में महेंद्र पाल सिंह की जगह महेश शर्मा, रामनगर में हरीश रावत की जगह महेंद्र पाल सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है।
वहीं नरेंद्रनगर सीट पर ओमगोपाल रावत, रुड़की में यशपाल राणा, चौबट्टाखाल में केशर सिंह नेगी, सल्ट में रंजीत रावत को प्रत्याशी घोषित किया है।
मोहित उनियाल समर्थकों के साथ दिल्ली रवाना
उधर, डोईवाला सीट पर प्रत्याशी घोषित होने के बाद प्रचार अभियान शुरू कर चुके मोहित उनियाल आज 11 बजे नामांकन की तैयारियां कर चुके थे। उनका कहना है कि वो कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता हैं और रहेंगे। कांग्रेस संगठन ने उनको डोईवाला क्षेत्र ही नहीं बल्कि कई राज्यों में बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं। उन्होंने संगठन के लिए हमेशा तत्परता से कार्य किया है। पार्टी के निर्णय वापसी से उनके समर्थकों को आघात पहुंचना लाजिमी है। वो दिल्ली जा रहे हैं और पार्टी से उनका एक ही सवाल है कि उनकी दावेदारी को वापस क्यों लिया गया। पार्टी को अगर यही निर्णय लेना था तो शुरू में ही ऐसा फैसला कर देती। दिल्ली में क्या फैसला होता है, उसी के अनुसार कोई निर्णय लेंगे।