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प्रकृति पर तीन बड़े खतरे- जलवायु परिवर्तन, प्रकृति क्षरण और प्रदूषण
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्रकृति क्षरण और प्रदूषण – तीन बड़े ख़तरों से निपटने के लिए, अगले एक दशक में चीन के आकार के बराबर क्षेत्र को बहाल किए जाने की आवश्यकता है। खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने गुरुवार को एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए सचेत किया है कि प्रकृति जितनी मात्रा में संसाधनों को टिकाऊ ढंग से प्रदान कर सकती है, मानवता उसका करीब डेढ़ गुना इस्तेमाल कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र समाचार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पारिस्थितिकी तंत्रों की पुनर्बहाली के दशक की शुरुआत पर एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें वर्ष 2030 तक, कम से कम एक अरब हेक्टेयर क्षरित भूमि को बहाल किए जाने की पुकार लगाई गई है।
साथ ही, इस प्रतिबद्धता को महासागरों के लिए भी लागू किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है। इसके अभाव में वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये ख़तरा बढ़ने की आशंका व्यक्त की गई है।
On #WorldEnvironmentDay, join us as we launch the UN🇺🇳 Decade on Ecosystem Restoration and embark on a journey to rapidly restore our ecosystems.
Because people and nature can heal together. #GenerationRestoration https://t.co/4h22lT1fph pic.twitter.com/zy2ndvsSbj
— Inger Andersen (@andersen_inger) June 3, 2021
यूएन पर्यावरण एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इन्गर एण्डरसन और यूएन कृषि एजेंसी के महानिदेशक क्यू डोन्गयू ने रिपोर्ट को जारी करते हुए सभी देशों से वैश्विक पुनर्बहाली प्रयासों का संकल्प लिए जाने का आग्रह किया है।