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Anemia Mukt Bharat: शरीर में रक्त की कमी के खिलाफ बड़ा अभियान

चार में से तीन भारतीय महिलाओं के खाने में आयरन की मात्रा कम होती है

Anemia Mukt Bharat

नई दिल्ली, 18 अप्रैल, 2025: भारत में दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी रहती है और यहाँ एनीमिया (खून की कमी) के खिलाफ एक बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान Anemia Mukt Bharat चल रहा है। एनीमिया, जो ज्यादातर आयरन की कमी से होता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में हीमोग्लोबिन कम हो जाता है, जिससे शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचने में दिक्कत होती है। इसके अलावा, फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए की कमी भी एनीमिया का कारण बनती है। खराब खानपान, कम उम्र में गर्भधारण, माँ की देखभाल में कमी और आयरन युक्त भोजन की कमी इस समस्या को और बढ़ाती है। यह एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है, जिसे तुरंत और लगातार हल करने की जरूरत है।

भारत में एनीमिया की स्थिति

  • भारत में 67.1% बच्चे और 59.1% किशोरियाँ खून की कमी (एनीमिया) से पीड़ित हैं। (NFHS-5)
  • 4 में से 3 भारतीय महिलाओं के खाने में आयरन की मात्रा कम होती है।
  • एनीमिया मुक्त भारत: 6 गतिविधियों, 6 लक्षित समूहों और 6 संस्थागत तरीकों से काम।
  • 2024-25 की दूसरी तिमाही में 15.4 करोड़ बच्चों/किशोरों को आयरन और फोलिक एसिड की दवा दी गई।
  • डिजिटल उपकरण एनीमिया की जांच को ट्रैक करते हैं और तुरंत डेटा देते हैं।
  • एएमबी कार्यक्रम को पोषण अभियान और स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ जोड़ा गया है।

एनीमिया को रोका और ठीक किया जा सकता है। पिछले दो दशकों में भारत सरकार ने इसके खिलाफ कई मजबूत कदम उठाए हैं। 1998-99 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-2) के बाद से एनीमिया मुक्त भारत (AMB) जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू हुए। आज AMB एक व्यापक योजना के तहत हर साल लाखों लोगों तक पहुँच रहा है। इसमें आयरन-फोलिक एसिड की गोलियाँ देना, कृमि मुक्ति, बेहतर पोषण और लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने वाले जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।

माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को किशोर पोषण और स्कूल-आधारित कार्यक्रमों के साथ जोड़कर भारत कुपोषण के पुराने चक्र को तोड़ रहा है। यह समुदाय आधारित और निरंतर प्रयास लड़कियों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, और पाँच साल से छोटे बच्चों के लिए तेजी से बेहतर परिणाम दे रहा है। इससे भारत साक्ष्य-आधारित और सभी को शामिल करने वाले स्वास्थ्य नवाचार में दुनिया भर में अग्रणी बन रहा है।

एनीमिया के बारे में जानकारी 

लक्षण क्या हैं?
एनीमिया की पहचान आमतौर पर इन लक्षणों से होती है:
– थकान और कमजोरी
– सांस फूलना
– चक्कर आना
– हाथ-पैर ठंडे रहना
– सिरदर्द
ये लक्षण खराब पोषण या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।

किन्हें हो सकता है?
एनीमिया का असर सबसे ज्यादा इन लोगों पर पड़ता है:
– 5 साल से छोटे बच्चे, खासकर शिशु और 2 साल से कम उम्र के बच्चे
– किशोरियाँ और मासिक धर्म वाली महिलाएँ
– गर्भवती और प्रसव के बाद की महिलाएँ

इसका क्या असर होता है? 
– बच्चों में दिमागी और शारीरिक विकास रुक सकता है।
– बड़ों में काम करने की क्षमता कम हो सकती है।
– गर्भावस्था में एनीमिया से समय से पहले जन्म, कम वजन के बच्चे, या अन्य जटिलताएँ हो सकती हैं।

इसे कैसे रोका और ठीका जा सकता है?
एनीमिया को रोकने और इलाज के लिए:
– आयरन, फोलेट, विटामिन बी12 और विटामिन ए से भरपूर खाना खाएँ।
– संतुलित आहार लें।
– डॉक्टर की सलाह पर आयरन या अन्य सप्लीमेंट लें।
इलाज और रोकथाम इसके कारणों पर निर्भर करती है, लेकिन सही खानपान से इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

एनीमिया की वैश्विक स्थिति

एनीमिया दुनिया भर में 15 से 49 वर्ष की उम्र की करीब 500 मिलियन महिलाओं और 5 वर्ष (6-59 महीने) से कम उम्र के 269 मिलियन बच्चों को प्रभावित करता है।

2019 में

करीब 30% गैर-गर्भवती महिलाओं (539 मिलियन) को एनीमिया था।

करीब 37% गर्भवती महिलाएँ (32 मिलियन) एनीमिया से प्रभावित थीं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण – 5 (2019-2021) के अनुसार भारत में एनीमिया की स्थिति

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एनीमिया मुक्त भारत

2018 में एनीमिया मुक्त भारत को 6x6x6 रणनीति के साथ शुरू किया गया। इस रणनीति में:
6 आयु समूह
1. प्री-स्कूल बच्चे (6-59 महीने)
2. बच्चे (5-9 वर्ष)
3. किशोर लड़के-लड़कियाँ (10-19 वर्ष)
4. गर्भवती महिलाएँ
5. स्तनपान कराने वाली महिलाएं
6. प्रजनन आयु की महिलाएँ (15-49 वर्ष)

6 गतिविधियाँ: इन समूहों में पोषण और अन्य कारणों से होने वाले एनीमिया को कम करने के लिए 6 तरह के कार्य किए जाते हैं। यह कार्यक्रम भारत के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, गाँवों, ब्लॉकों और जिलों में लागू है। यह राष्ट्रीय आयरन प्लस पहल (NIPI) के तहत मौजूदा वितरण प्रणालियों के जरिए काम करता है।

मुख्य लक्ष्य
– पूरे जीवनकाल में आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को कम करना।
– खासकर किशोरों (10-19 वर्ष) में साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण (WIFS) कार्यक्रम के जरिए एनीमिया की गंभीरता और व्यापकता को घटाना।

यह एक व्यापक रणनीति है जो एनीमिया जैसी बड़ी स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए बनाई गई है।

रोगनिरोधी आयरन और फोलिक एसिड अनुपूरण

एएमबी ( Anemia Mukt Bharat) रणनीति के तहत, आयरन-फोलिक एसिड (आईएफए) अनुपूरण उम्र वर्ग और शारीरिक ज़रूरतों के मुताबिक तैयार किया जाता है।

6-59 महीने की उम्र के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए सिरप दिया जाता है, जबकि 5-10 वर्ष की आयु के बच्चों को साप्ताहिक गुलाबी गोली दी जाती है।

किशोरों (10-19 वर्ष) और गैर-गर्भवती, गैर-स्तनपान कराने वाली महिलाओं (20-49 वर्ष) को क्रमशः साप्ताहिक नीली या लाल आईएफए गोली दी जाती है।

गर्भधारण से पहले की अवधि और पहली तिमाही में महिलाओं को रोजाना फोलिक एसिड की गोलियां लेने की सलाह दी जाती है।

गर्भवती महिलाएं दूसरी तिमाही से रोजाना आईएफए की गोलियां लेना शुरू कर देती हैं और गर्भावस्था और प्रसव के छह महीने बाद तक इसे जारी रखती हैं।

सभी सप्लीमेंट को मापदंडों के तहत खुराक के रूप में दिया जाता है और इनकी आसानी से पहचान के लिए इन्हें अलग अलग रंग दिया जाता है।

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कृमि मुक्ति

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत 1-19 वर्ष की आयु के बच्चों और किशोरों के लिए साल में दो बार सामूहिक कृमि मुक्ति अभियान हर साल निर्धारित तिथियों – 10 फरवरी और 10 अगस्त को चलाया जाता है।

गर्भवती महिलाओं को कृमि मुक्ति (दूसरी तिमाही में) के लिए प्रसवपूर्व देखभाल संपर्कों (एएनसी क्लीनिक/वीएचएनडी) के ज़रिए सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

वर्ष भर चलने वाला गहन व्यवहार परिवर्तन संचार अभियान (सॉलिड बॉडीस्मार्ट माइंड) 

गर्भवती महिलाओं और स्कूल जाने वाले किशोरों पर विशेष ध्यान देते हुए,   डिजिटल तरीकों और पॉइंट-ऑफ-केयर उपचार का उपयोग करके एनीमिया की जांच और उपचार।

सरकारी वित्तपोषित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आयरन और फोलिक एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का अनिवार्य प्रावधान।

मलेरियाहीमोग्लोबिनोपैथी और फ्लोरोसिस पर खास ध्यान देते हुएस्थानिक क्षेत्रों में एनीमिया के गैर-पोषण संबंधी कारणों के बारे में जागरूकताजांच और उपचार को तेज करना।

एनीमिया मुक्त भारत की प्रगति

महिलाओं और बच्चों में एनीमिया से बचाव के लिए सरकार की पहल

एनीमिया को खत्म करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता, समावेशी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्रवाई का एक वैश्विक उदाहरण है।

एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के ज़रिए, सरकार ने लाखों महिलाओं, बच्चों और किशोरों तक आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन, डीवार्मिंग, बेहतर पोषण और जागरूकता अभियान की पहुँच मुमकिन बनाई है।

अपने सबसे संवेदनशील वर्गों- लड़कियों, माताओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देकर भारत, कुपोषण के पीढ़ियों से चले आ रहे चक्र को तोड़ रहा है। लगातार निवेश, डिजिटल नवाचार और अंतिम छोर तक सुविधाओं की सशक्त पहुंच के साथ, एक स्वस्थ, एनीमिया मुक्त भारत का सपना अब ज़रूर हकीकत में बदला सकता है।

साभार- पीआईबी

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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