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“मेडिकल एजुकेशन के विविध आयाम पर कार्यों के लिए बीसीएमई प्रशिक्षण आवश्यक”

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन वर्कशॉप शुरू

श्रीनगर। मनमोहन सिंधवाल

वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली राजकीय मेडिकल कॉलेज मे एनएमसी (National Medical Commission) की ऑब्जर्वरशिप में सोमवार से तीन दिवसीय बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन (BCME-Basic Course in Medical Education) प्रशिक्षण शुरू हो गया। विषय विशेषज्ञों ने मेडिकल फैकल्टी मेंबर्स (Medical Faculty Members) को पाठ्यक्रम की बुनियादी जानकारी के साथ- साथ “टीचिंग लर्निंग मैथड इन मेडिकल एजुकेशन” (Teaching Learning Method in Medical Education) की आधुनिक तकनीकी एवं समूह में कार्य करने के तौर तरीके सिखाए। प्रशिक्षण में यूपी, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड से लगभग 30 संकाय सदस्य शामिल हुए।

एनएमसी के निर्देश पर चिन्हित श्रीनगर मेडिकल कॉलेज (Srinagar Medical College) के प्रेक्षागृह में आयोजित बीसीएमई सत्र का शुभारंभ एनएमसी के ऑब्जर्वर प्रो. विनय शर्मा, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत, डॉ. दीपा हटवाल, डॉ. पवन बट्ट, डॉ. कैलाश गैरोला, डॉ. निरंजन गुंजन, डॉ. किगशुक लाहौन, डॉ. नियति ऐरन ने दीप प्रज्ज्वलित कर संयुक्त रूप से किया। एमबीबीएस छात्रों ने मां सरस्वती की वंदना का गायन किया।

कार्यक्रम में एनएमसी के ऑब्जर्वर डॉ. विनय शर्मा ने कहा, मेडिकल एजुकेशन में इस तरह की वर्कशाप देश के मेडिकल कॉलेजों में आयोजित हो रही है, जिससे मेडिकल एजुकेशन में और अधिक अत्याधुनिक आयामों पर कार्य हो सकेगा।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा, बीसीएमई के जरिए चिकित्सा शिक्षा के लक्ष्यों व उद्देश्यों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सकता है। वहीं, चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न समसामयिक विषयों पर विचार-विमर्श होता है। इन वर्कशॉप का उद्देश्य फैकल्टी मेंबर्स को टीचिंग लर्निंग मैथड में शामिल आधुनिक तकनीक की अधिक से अधिक जानकारी दिलाना है, जो भावी चिकित्सकों और उनके मरीजों के हित में है।

विषय विशेषज्ञ डॉ. पवन बट्ट ने सभी संकाय सदस्यों का एक-दूसरे से परिचय कराया। उन्होंने ग्रुप डायनेमिक्स के विभिन्न आयाम पर बात की।

डॉ. दीपा हटवाल ने सीखने के सिद्धांत विषय पर चर्चा के दौरान शिक्षण के बेहतर तरीकों एवं पाठ्यक्रम की बुनियादी समझ पर ध्यान दिलाया।

डॉ. किगशुक लाहौन ने लक्ष्यों, योग्यता आधारित शिक्षा के सिद्धांत, सीखने के सिद्धांत सहित विभिन्न बिंदुओं पर प्रशिक्षण दिया।

विषय विशेषज्ञ प्रो. दीपक डिमरी ने इंट्रोडक्शन टू असेसमेंट एवं डॉ. निरंजन गुंजन ने आंतरिक मूल्यांकन (आईए) और रचनात्मक मूल्यांकन विषय पर विस्तार से जानकारी दी।

इस मौके पर हिमाचल प्रदेश से डॉ. शैलेन्द्र कौशिक, डॉ. अविनाश गोयल, डॉ. विकास सिंह, डॉ. संगीत कौर, डॉ. प्रिंस गोयल, डॉ. अंकिता शर्मा, डॉ. संजय कुमार, डॉ. दीपांशु धीमान, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. प्रतिभा गुप्ता, डॉ. विवेक कुमार, डॉ. अतुल सिंह, यूपी से डॉ. दीपा तयाल, हल्द्वानी से डॉ. बसंत कुमार जोशी, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से प्रो. अनिल द्विवेदी, डॉ. जानकी बर्त्वाल, डॉ. दीप्ति शर्मा, डॉ. अंकिता गिरी, डॉ. इंदिरा यादव, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. दिनेश सिंह, डॉ. हरप्रीत सिंह, डॉ. हरि सिंह, डॉ. मोहित कुमार, डॉ. विवेक द्विवेदी, डॉ. श्वेता शर्मा आदि वर्कशॉप में शामिल हुए।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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