मुख्यमंत्री सहित केवल दो सदस्य थे इस राज्य की कैबिनेट में
1969 मत हासिल करके विधायक और फिर कूर्ग के मुख्यमंत्री बन गए थे पुनाचा
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
देश में कई ऐसे राज्य थे, जिनमें 1951-52 में मात्र एक बार ही विधानसभा चुनाव हुए और बाद में ये राज्य अन्य बड़े प्रदेशों में विलय हो गए। इन राज्यों में अजमेर, भोपाल, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश पर हम पहले ही जानकारी साझा कर चुके हैं। इसी तरह के अन्य और भी राज्य हैं, जिन पर यहां चर्चा की जा रही है।
कूर्ग विधानसभा (Coorg Vidhansabha) के लिए1951-52 में विधानसभा चुनाव हुए। यहां मात्र 18 विधानसभा क्षेत्र थे, जिनमें से छह में दो-दो सदस्यों का निर्वाचन हुआ। कूर्ग विधानसभा में 24 सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के 15 विधायक चुने गए, जबकि नौ पर निर्दलीयों ने जीत हासिल की।
1969 वोट पाकर जीते पुनाचा बन गए थे मुख्यमंत्री
कूर्ग राज्य की पहली एवं अंतिम सरकार कांग्रेस की थी। कांग्रेस नेता सीएम पुनाचा कूर्ग के मुख्यमंत्री बने। कूर्ग की पहली कैबिनेट में दो सदस्य ही थे, जिनमें मुख्यमंत्री पुनाचा और कुट्टूर मल्लपा गृह मंत्री के रूप में शामिल थे।
पुनाचा को बेरियाथनाड निर्वाचन क्षेत्र से 1969 मत हासिल हुए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 790 वोट मिले। पुनाचा को अपने निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए मतों के 71.37 प्रतिशत वोट हासिल हुए। इस राज्य में 1,38,440 मतदाता थे, जिनमें से 87,947 यानी 63-53 फीसदी ने मतदान किया था।
1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, कूर्ग राज्य को मैसूर (बाद में इसका नाम बदलकर कर्नाटक ) में विलय कर दिया गया।
इन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, पर बाद में इनका अन्य राज्यों में विलय हो गया
राज्य | विधानसभा चुनाव वर्ष | राज्य | विधान सभा चुनाव वर्ष |
अजमेर | 1951 | मद्रास | 1967, 1962, 1957, 1951 |
भोपाल | 1951 | मैसूर | 1967, 1951 |
बम्बई | 1957 1951 | पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ | 1954, 1951 |
कूर्ग | 1951 | सौराष्ट्र | 1951 |
हैदराबाद | 1951 | त्रावणकोर कोचीन | 1954, 1951 |
मध्य भारत | 1951 | विंध्य प्रदेश | 1951 |
स्रोतः भारत चुनाव आयोग
175 सीटों वाली थी हैदराबाद विधानसभा
हैदराबाद विधानसभा (Hyderabad Vidhansabha) के लिए 1951-52 में चुनाव हुए। यहां 142 विधानसभा क्षेत्रों में 33 दो सदस्यों वाली थीं। हैदराबाद विधानसभा में 175 सीटें थीं, जिन पर पहले एवं अंतिम चुनाव में कांग्रेस के 93 एवं पीडीएफ के 42 प्रत्याशी विजयी घोषित हुए।
यहां कांग्रेस ने सरकार बनाई और हैदराबाद राज्य को बी.रामाकृष्ण राव के रूप में पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री मिले। हालांकि, केंद्र सरकार ने एमके वेल्लोडी को 26 जनवरी 1950 को हैदराबाद प्रांत का प्रथम मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया था। 1 नवंबर 1956 को, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत , हैदराबाद राज्य को आंध्र प्रदेश बनाने के लिए आंध्र राज्य में विलय कर दिया गया था।
सौराष्ट्र विधानसभा (Sourastra Vidhansabha) के लिए 1951-52 में हुए आम चुनाव में 60 सदस्यों का निर्वाचन हुआ। यहां 55 विधानसभा क्षेत्र थे, जिनमें से पांच पर दो-दो सदस्यों का निर्वाचन हुआ। सौराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 55 विधायक चुने गए। 1 नवंबर 1956 को सौराष्ट्र बंबई राज्य का हिस्सा बन गया।