Tech

अंतरिक्ष से लेकर समुद्र तक के सफर पर यह रोबोट

देहरादून। हालांकि इस रोबोट को काम करते हुए वर्षों बीत गए, लेकिन मैंने इसको खुद के सामने कुछ करते हुए पहली बार देखा तो इसके बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक हो गया। कुछ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था, प्रिंटर कागज के अलावा क्ले, प्लास्टिक, मैटल पर किसी भी थ्री डी प्रोडक्ट को डिजाइन कर सकता है।

अब मेरी समझ में आ गया है कि अंतरिक्ष हो या धरती का कोई भी छोर या फिर समुद्र की अनंत गहराई या फिर घर और स्कूल, आप कहीं भी कोई डिजाइन तैयार करके थ्री डी प्रिंट ले सकते हैं। यह भी तो एक तरह का रोबोट है। थ्री डी प्रिंटर के बारे में काफी कुछ सुना और पढ़ा था। इंटरनेट पर इसके कई वीडियो भी देखे थे, लेकिन आज अपने सामने थ्री डी प्रिंटर को डिजाइन बनाते देखकर बहुत अच्छा लगा। वाकई यह बहुत शानदार था। यह कैसे काम करता है और इसके हर पार्ट का क्या फंक्शन है, इसकी कई जानकारियां मिलीं।

भारत ने मंगल ग्रह की यात्रा की तो मैं काफी खुश था और इसके बारे में काफी कुछ पढ़ा और इसी दौरान यूं ही एक सवाल उठा था कि अंतरिक्ष में जाने वाले वैज्ञानिकों को अगर किसी उपकरण या यंत्र की जरूरत पढ़ जाए तो वो क्या करेंगे। यह कोई महत्वपूर्ण यंत्र हो, जिसके बिना मिशन अधूरा रह जाए, तो क्या होगा। सवाल भी उठ रहे थे कि क्या वहां जरूरी सामान भेजने के लिए कोई दूसरा यान भेजा जाएगा या फिर कुछ औऱ।

इसी बीच एक दिन इंटरनेट पर इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए जानकारी मिली कि थ्री प्रिंटर यह कमाल कर रहा है। मुझे खुद पर यह अफसोस हो रहा था कि मैं किस दुनिया में हूं। थ्री डी प्रिंटर तो काफी पहले की बात हो गई और अब तो यह धरती से अंतरिक्ष तक प्रिंट करने की तैयारी में है। लेकिन आज मैंने थ्री डी प्रिंटर देख लिया और इसके बारे में भी जाना। मानवभारती स्कूल के छात्र-छात्राएं अपने सामने थ्री डी प्रिंटर को क्यूब, स्पेयर, प्रिज्म डिजाइन करते देखकर काफी उत्सुक दिखे।

 मानवभारती स्कूल में नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन की टिंकरिंग लैब के इंचार्ज डॉ. गौरवमणि खनाल ने छात्रों को थ्री डी प्रिटिंग का प्रेजेंटेशन दिया और इसके पार्ट औऱ फंक्शन पर फोकस किया। माइक्रो इलैक्ट्रोनिक्स में इंग्लैंड की लिवरपूल जोन मोर्स यूनिवर्सिटी से मास्टर और यूनिवर्सिटी ऑफ रोम तोरवर्गाता से इलैक्ट्रानिक्स में डॉक्टरेट गौरवमणि खनाल बताते हैं कि  मानवभारती स्कूल के क्लास 6 से 12 तक के स्टूडेंट्स को अलग-अलग दो पारी में थ्री डी प्रिंटिंग की व्यापक जानकारी दी गई।

छात्रों को बताया गया कि कंप्यूटर पर डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से किसी प्रोडक्ट को कैसे डिजाइन किया जाए और कैसे इस प्रोडक्ट को थ्री प्रिंटिंग के लिए हर मानक से तैयार किया जाए। छात्र-छात्राओं को प्रिंटर के हार्डवेयर के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। प्रिंटर के हर पार्ट की आवश्यकता को बताया गया, ताकि स्टूडेंट्स समझ सकें कि प्रिंटर में लगे इतने सारे पार्ट या कंपोनेंट क्यों जरूरी हैं।

छात्र-छात्राओं ने थ्री डी प्रिंटर एक्सपर्ट से सवाल-जवाब किए। एक छात्र ने पूछा क्या कभी मनुष्य के अंग भी इससे बनाए जा सकेंगे यानि हेल्थ साइंस में इसका क्या योगदान है। जवाब था कि मनुष्य के अंग बनाए जा रहे हैं और बहुत जल्द प्रिंटेड अंग भी बाजार में उपलब्ध हो जाएंगे। दूसरा सवाल था कि क्या पेड़, पौधे, फल भी इससे प्रिंट किए जा सकेंगे। पेड़, पौधे तो अभी तक प्रिंट नहीं हुए हैं, लेकिन खाने पीने की वस्तुएं प्रिंट हो चुकी हैं।

एक्सपर्ट ने बताया कि कोई भी चीज प्रिंट की जा सकती है, अगर उस वस्तु के लिए सही मैटिरियल इस्तेमाल किया जाए। एक छात्र ने यह अहम सवाल किया कि इस प्रिंटर और सामान्य तौर पर उत्पादित वस्तु की लागत में कितना अंतर हो सकता है। जवाब मिला कि थ्री डी प्रिंटर का लागत तो एक बार की है, जो सामान्य तौर पर 75 हजार से एक लाख तक हो सकती है। बड़े प्रिंटर और भी ज्यादा लागत के हैं। प्रिंटिंग कॉस्ट सामान्यतः कम है।

डॉ. खनाल कहते हैं कि  आपके आसपास जो भी कुछ दिखता है या दिनचर्या की गतिविधियां, सब कुछ वैज्ञानिक नजरिये से परिभाषित की जा सकती हैं। जीवन और विज्ञान में अटूट संबंध है। आप विज्ञान के छात्र हो या नहीं , लेकिन फिर भी आपके लिए विज्ञान को जानना जरूरी है। मानवभारती स्कूल छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए खास तरह के इनोवेशन पर फोकस करता रहा है।

मानवभारती स्कूल में नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन की टिंकरिंग लैब का उद्देश्य भी विज्ञान में रूचि जागृत करके छात्र-छात्राओं को कुछ इनोवेटिव करने के लिए प्रेरित करना है। यह सब इसलिए भी किया जा रहा है कि विज्ञान के अविष्कारों ने जीवन का आसान बना दिया है। इससे पहले मानव भारती स्कूल की अटल टिंकरिंग लैब में छात्र-छात्राओं ने रोबो कार बनाई थी और अलग-अलग तरह के सेंसर्स के बारे में जाना था।

 

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker