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वेबपोर्टल चलाना चाहते हैं तो ये जानकारियां आपके लिए खास हैं, रहिए सावधान

मेरे एक मित्र वेबपोर्टल (Web portal) का संचालन कर रहे हैं। काफी मेहनत करके उस पर ब्लॉग  और न्यूज (Blog and news) प्रकाशित कर रहे हैं। एक दिन पोर्टल में तकनीकी दिक्कत (Technical problem) आई और कामकाज ठप हो गया। जब उन्होंने उस व्यक्ति से संपर्क किया, जिन्होंने वेबसाइट डेवलप (Development of website) की थी, तो पता चला कि वो कहीं बाहर गए हैं और कुछ दिन बाद लौटकर ही कुछ करेंगे।

मेरे दोस्त तो वेबसाइट पर न्यूज पोस्ट (News posting on website) करते हैं, इसलिए वो एक दिन तो क्या एक घंटे का भी इंतजार नहीं कर सकते थे। उन्होंने किन्हीं ओर डेवलपर से सहयोग करने को कहा। डेवलपर ने उनसे वेबसाइट से संबंधित पासवर्ड (website password) मांगे और कुछ आसान से सवाल किए।

उन्होंने पूछा कि क्या आपकी वेबसाइट के डोमेन (Domain) और होस्टिंग (Hosting) समय पर रिन्युअल (website renewal) हो रहे हैं।

क्या आपको इनके रिन्युअल की तारीख पता है। आपकी वेबसाइट जिस ईमेल एकाउंट (e-mail account relates to website ) पर है, वो क्या है।

क्या आपकी ईमेल पर होस्टिंग व डोमेन प्रोवाइडर कंपनी (Hosting and domain provider company) की नियमित रूप से ईमेल पर महत्वपूर्ण सूचनाएं आती हैं।

पर, मेरे मित्र पूरी तरह से इन बातों से अनभिज्ञ थे। उनको केवल इतना पता था कि उनका डोमेन किस कंपनी से लिया है। क्योंकि कंपनी से मेल आती रहती है।

उनको केवल उस पासवर्ड की जानकारी थी, जिससे वेबसाइट का डैशबोर्ड (website’s dashboard) खोलकर खबरों को पोस्टिंग करते हैं। होस्टिंग के बारे में उनका कहना था कि यह सब डेवलपर जानते हैं।

खबरों की पोस्टिंग के लिए उनके पास सीमित अधिकार हैं, वो केवल पोस्ट और मीडिया (news post and media) में ही काम करते हैं।

उनको सिर्फ इतना पता है कि हेडिंग (News heading) कहां लिखा जाता है, खबरों की बॉडी (News body) कहां लिखी जाती है। News tags, Category, Feature Image के बारे में ही कुछ जानकारी है।

उनके पास अपनी ही वेबसाइट के C-panel, Page, Theme Panel को जानने का अधिकार नहीं है। उनको नहीं पता, वेबसाइट में कोई पेज कैसे जोड़ा जा सकता है। Google AdSense के Advertisement की Code Pasting कहां करनी है। बाहर से कोई Advertisement मिलता है तो उसको कैसे लगाया जाता है।

Home page का Structure कैसा दिखता है। उसमें बदलाव कैसे कर सकते हैं। उसमें Blocks के बीच Advertisement कैसे लगा सकते हैं।

हां, तो मैं अपने मित्र के बारे में बात कर रहा था, उनके पास केवल Admin Password था, जिससे सीमित अधिकारों वाला डैशबोर्ड (website dashboard) खुलता था।

सहयोग करने के इच्छुक Web developer उस समय तक कुछ नहीं कर सकते थे, जब तक कि उनको मांगे गए पासवर्ड न मिल जाएं।

मेरे मित्र के पास तो अपनी Website Hosting की Customer ID तक नहीं थी, जिससे वो चेक कर सकें कि उनके Product का Status क्या है।

समय आने पर अपनी Website Hosting, Domain या website के लिए कुछ और purchase कर सकें। वो तो पूरी तरह उस Web developer पर निर्भर थे, जिसने उनकी वेबसाइट संभाल रखी थी।

ऐसे होती है डोमेन की खरीद

डेवलपर के माध्यम से अमूमन Domain Purchasing तक तो सब ठीक रहता है। हालांकि यहां भी बहुत सतर्कता की आवश्यकता होती है।

अगर आप डेवलपर से ही खरीदारी करने के लिए कहते हैं तो वो आपसे वेबसाइट बनाने के लिए एकमुश्त रकम मांगते हैं। आपसे डोमेन का नाम (Domain name) जानते हैं। आपके द्वारा सुझाए गए Domain name उपलब्ध नहीं होने पर दूसरा नाम सुझाने को कहते हैं। आपके लिए डोमेन की खरीद हो जाती है। आपसे खरीददार का नाम, पता, फोन नंबर, ईमेल आईडी की मांग की जाती है।

Domain provider company उस E-mail ID पर आपसे वैरीफिकेशन कराती है, जो आपने Domain registration में उपलब्ध कराई थी। इस तरह Domain purchasing पूरी हो जाती है।

आपके पास Domain provider company सभी जरूरी सूचनाएं, अपने सभी offer इसी मेल पर भेजती है। आपके फोन पर कंपनी कॉल करके Domain renewal कराने की सूचना देती है।

Website Hosting में होता है यह खेल

अब असली खेल होता है Website Hosting में होता है। कई डेवलपर Website Hosting के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं करते।

होता क्या है, ये तमाम वेबसाइट बनाते हैं, इसलिए ये अपनी ID पर मल्टी डोमेन होस्टिंग (Multi domain hosting) खरीदते हैं, जिसमें से उन सभी वेबसाइट को स्पेस शेयर करते हैं, जिनको ये डेवलप कर रहे होते हैं।

क्या आपको जानकारी है कि Domain/ hosting provider companies एक ही hosting पर 100 Domain चलाने की परमिशन का ऑफर देती हैं।

इसका मतलब यह हुआ है कि आपकी वेबसाइट उस होस्टिंग पर चलती है, जिसका सर्वाधिकार डेवलपर के पास है, न कि आपके पास।

यह हो सकता है नुकसान

आप अपनी वेबसाइट में केवल डोमेन नेम पर अधिकार रखते हैं, न कि होस्टिंग पर। जब आपका होस्टिंग पर अधिकार नहीं है तो आपकी मेहनत से इकट्ठा किया गया डाटा (website data) भी आपके पास नहीं होता।

होस्टिंग के मामले में कंपनी आपसे नहीं, उस व्यक्ति से संपर्क करती है, जिसके पास होस्टिंग के सर्वाधिकार (Rights on website hosting) हैं। यही वजह है कि होस्टिंग की कोई सूचना आपको नहीं मिल पाती।

इस स्थिति में आपको किसी भी तकनीकी दिक्कत पर उसी डेवलपर पर निर्भर (dependency on developer) रहना पड़ेगा, जिसके पास आपकी होस्टिंग और डाटा (Hosting and data) है।

वो चाहे तो आपकी वेबसाइट का सारा डाटा (All website data) किसी भी समय अपने पास रख सकता है या किसी और को उपलब्ध करा सकता है।

आप किसी संस्था या सरकार के पास विज्ञापन के लिए निविदा जमा करना चाहोगे तो होस्टिंग की डिटेल (Hosting’s detail) मांगी जाएगी, जो आपके पास उपलब्ध नहीं होगी।

आपके पास अपनी वेबसाइट के  credentials नहीं होंगे।

डेवलपर द्वारा संचालित किसी एक वेबसाइट पर ज्यादा लोड होने का असर आपकी वेबसाइट पर भी पड़ेगा।

इसको कुछ ऐसे समझें

आप इस तथ्य को सामान्य व्यवहार में इस तरह समझे, जैसे किसी व्यक्ति ने अपने नाम 10 बीघा जमीन का प्लाट खरीद लिया और भवन बनाने के इच्छुक 30-40 लोगों को प्लाटिंग करके रकम ले ली, पर उनको इन प्लाट पर कोई अधिकार उपलब्ध नहीं कराया, सिवाय भवन बनाने के। यहां आपके डोमेन की स्थिति ठीक उस तरह होगी, जैसे कि दूसरे के नाम दर्ज जमीन पर बनाए गए मकान पर आपकी नेमप्लेट।

क्या कहते हैं डिजीटल एक्सपर्ट…

डिजीटल मार्केटिंग एक्सपर्ट एवं वेब डेवलपर चंद्रकांत पुरोहित (Digital marketing expert & web developer) का कहना है कि आप उन व्यक्ति से वेबसाइट बनवाएं, जिन्हें आप अच्छी तरह जानते हों या आपके विश्वस्त व्यक्ति द्वारा उनका नाम सुझाया गया हो।

डेवलपर आपके शहर या आपकी पहुंच में हों। यह न हो कि आप देहरादून या हरिद्वार में हैं, और डेवलपर नोयडा, दिल्ली या बेंगलुरू में बैठा है, जिससे फोन पर अपनी बात रखना भी मुश्किल का काम हो।

यह जानकारी बहुत जरूरी है

वेबसाइट के लिए दो महत्वपूर्ण खरीदारी डोमेन और होस्टिंग हैं। डोमेन यानी आपकी वेबसाइट का नाम। डोमेन खरीदारी करते हुए आप डिजीटल प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड (Registered on digital platform) हो गए।

कैसे खरीदें होस्टिंग

आप डोमेन के साथ ही Hosting खरीद लीजिए। कुछ कंपनियां offer/sale में डोमेन औऱ होस्टिंग पर काफी छूट देती हैं। आप एक से चार साल तक के लिए ये प्रोडक्ट खरीद सकते हैं, जितना ज्यादा समय के लिए खरीदेंगे, उतना अधिक छूट मिलती है।

सामान्य भाषा में होस्टिंग का मतलब

सामान्य शब्दों में Hosting वो डिजीटल स्पेस है, जिस पर आपकी लिखी पोस्ट फोटो, वीडियो यानी डाटा होता है। यह स्पेस कंपनी अपने सर्वर पर उपलब्ध कराती है, जिसका वह आपसे पैसा लेती है। कंपनी के सर्वर, आपके होस्टिंग प्लान और कुछ तकनीकी पहलुओं पर वेबसाइट की स्पीड निर्भर करती है।

आसान है खरीद, स्वयं से करिए

आप डेवलपर के सामने होस्टिंग स्वयं खरीदें। अपनी आवश्यकता के अनुसार प्लान खरीदिए। यहां बेसिक से लेकर डीलक्स, एडवांस तक प्लान होते हैं। हर प्लान की डिटेल (Hosting Plan) को जानिएगा, जहां समझ में नहीं आता है तो डेवलपर या किसी जानकार से बात कीजिएगा।

Domain/ hosting की खरीदारी सामान्य होती है। यह ठीक उस तरह होती है, जैसे कि ऑनलाइन खरीदारी (Online purchasing) ।

इसके फॉर्म (Domain registration form) में सही विवरण दर्ज कीजिए। फोन नंबर और ईमेल आई चेक कीजिएगा। उसी फोन नंबर और ईमेल आईडी को अंकित कीजिए, जिनसे आपका प्रतिदिन वास्ता हो, क्योंकि कंपनी आपके पास सभी सूचनाएं इस पर ही भेजेगी।

इस तरह आपके पास अपनी वेबसाइट के सारे अधिकार सुरक्षित होंगे।

आपको क्या करना है

डोमेन और होस्टिंग स्वयं खरीदें।

डेवलपर से खरीदारी कराते हैं तो उनसे खरीदारी का पूरा विवरण मांगें।

ध्यान रखिएगा, खरीदारी आपके नाम एवं ईमेल एड्रेस पर ही होनी चाहिए।

किसी भी तरह की तकनीकी जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं- 7668821011 (चंद्रकांत पुरोहित, डिजीटल मार्केटिंग एक्सपर्ट)

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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